नकली रेमडेसिविर मामले में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी और बैंक खाते में जमा रकम कुर्क

अधिकारी ने बताया कि ईडी ने धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज मामले की जांच के दौरान एक करोड़ 70 हजार रुपये की नकदी और बैंक खाते में जमा 3.92 लाख रुपये अस्थायी तौर पर कुर्क कर लिए हैं.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
अधिकारी ने बताया कि गिरोह के लोग एक नकली इंजेक्शन के बदले 35,000 से 40,000 रुपये की मोटी रकम वसूलते थे.
इंदौर:

गुजरात के एक गिरोह द्वारा मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों को बड़ी तादाद में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शनों की आपूर्ति के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दो प्रमुख आरोपियों की कुल एक करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी और बैंक खाते में जमा रकम कुर्क कर ली है. इस कदम से अवगत एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

अधिकारी ने बताया कि ईडी ने धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज मामले की जांच के दौरान कौशल वोरा और पुनीत शाह के गुजरात स्थित परिसर में मिली एक करोड़ 70 हजार रुपये की नकदी और उनके बैंक खाते में जमा 3.92 लाख रुपये अस्थायी तौर पर कुर्क कर लिए हैं.

उन्होंने बताया कि वोरा और शाह पर आरोप है कि वे पिछले साल महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप के दौरान गुजरात के सूरत के एक फार्म हाउस में चोरी-छिपे चलाए जा रहे कारखाने में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बना रहे थे.

अधिकारी ने बताया, ‘‘महामारी के मरीजों की जान से खिलवाड़ करते हुए नमक और ग्लूकोज के पानी से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाए जा रहे थे.'

उन्होंने बताया कि वोरा और शाह के गिरोह से जुड़े लोगों ने मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों में बड़ी तादाद में उस वक्त ये नकली इंजेक्शन पहुंचाए, जब इनकी भारी किल्लत थी और मरीजों के परेशान परिजन मुंहमांगी कीमत पर इन्हें खरीदने को तैयार थे.

अधिकारी ने बताया कि गिरोह के लोग एक नकली इंजेक्शन के बदले 35,000 से 40,000 रुपये की मोटी रकम वसूलते थे.

Advertisement

उन्होंने बताया कि आरोपियों में शामिल एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की फर्जी जांच रिपोर्ट तैयार की जिसमें इस महिला को कोरोना वायरस से संक्रमित बताया गया था.

अधिकारी ने बताया कि फर्जी जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोपी ने एक डॉक्टर से उसकी पर्ची पर लिखवाया कि उसकी पत्नी को रेमडेसिविर इंजेक्शन की सख्त जरूरत है और इस आधार पर उसने बाजार से इस वायरसरोधी दवा का असली इंजेक्शन हासिल किया.

Advertisement

उन्होंने बताया कि इस इंजेक्शन की शीशी, स्टिकर और पैकिंग की नकल करते हुए गिरोह ने बड़ी तादाद में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार किए और इनमें दवा की जगह नमक तथा ग्लूकोज का पानी भरकर बेचना शुरू कर दिया.

अधिकारी ने बताया कि इस मामले में गुजरात और अन्य राज्यों के साथ ही मध्यप्रदेश के इंदौर व जबलपुर के गिरोहबाज, दवा विक्रेता और अस्पताल संचालक ईडी की जांच के घेरे में हैं. उन्होंने बताया कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शनों को मरीजों की मदद के नाम पर सोशल मीडिया पर ग्राहक ढूंढ कर भी बेचा जाता था.

Advertisement

यह भी पढ़ें:
कोरोना के कारण युगांडा के बाद, भारत में सबसे लंबे समय तक बंद रहे स्कूल: केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री
Covid 19 : चीन में कोरोना के दो साल में सर्वाधिक मामले, 10 शहरों में लॉकडाउन
12 से 14 साल की उम्र वाले बच्चों को 16 मार्च से लगेगा कोरोना का टीका

कई देशों में फिर से बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले, जानिए यूरोप में मामले बढ़ने की क्‍या है वजह

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
India Pakistan Conflict के बीच क्यों मिल रही है जयशंकर को Bulletproof Car? | Jaishankar Security
Topics mentioned in this article