पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) तथा BJP अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात की, ताकि उनकी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस तथा BJP के बीच सीट बंटवारे समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके. पंजाब में अगले साल की शुरुआत में ही होने जा रहे विधानसभा चुनाव 2022 (Punjab Assembly Elections 2022) के लिए कुछ ही हफ्ते पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की घोषणा की थी.
BJP के पंजाब प्रभारी तथा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत एवं अकाली दल के पूर्व विधायक सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी बैठक में शिरकत की.
सूत्रों के अनुसार, BJP इस गठबंधन में 'बड़े भाई' की भूमिका में रहना चाहती है, और राज्य विधानसभा की 117 सीटों में लगभग 70 अपने पास रखना चाहती है. कैप्टन के दल को लगभग 30-35 सीटें दी जा सकती हैं, और ढींढसा की पार्टी को 10-15 सीटें.
गठबंधन के पंजाब में चुनाव प्रचार अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जनवरी के पहले सप्ताह में एक रैली के ज़रिये लॉन्च किए जाने की संभावना है.
पंजाब कांग्रेस में कड़वाहट भरे विवाद के बाद मुख्यमंत्री पद और पार्टी छोड़ देने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसी माह की शुरुआत में गठबंधन की पुष्टि की थी, और कहा था कि सिर्फ सीट बंटवारा तय होना बाकी है. गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात के बाद कैप्टन ने मीडिया से बातचीत में कहा था, "हम देखेंगे कि कौन कहां से लड़ेगा, सीटें सिर्फ जीतने की संभावना को ध्यान में रखकर चुनी जाएंगी..."
79-वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री ने यह विश्वास भी व्यक्त किया था कि आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन का प्रदर्शन अच्छा रहेगा. उन्होंने कहा था, "गठबंधन शर्तिया 101 प्रतिशत चुनाव जीतने वाला है... यह बात मैं लिखकर दे सकता हूं..."
उधर, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक अलग पोस्ट में लिखा था कि गठबंधन के गठन के लिए 'सात दौर की बातचीत' की गई.
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को शानदार जीत दिलवाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने राजनैतिक अस्तित्व को बचाने की जद्दोजहद में पूरी तरह कांग्रेस के ही खिलाफ लड़ रहे हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री पद को छोड़ते वक्त भी उन्होंने कहा था कि कांग्रेस हाईकमान द्वारा उन्हें बार-बार 'बेइज़्ज़त' किया गया. कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को लिखे अपने त्यागपत्र में कैप्टन ने यह भी लिखा था कि वह 'न थके हैं, न रिटायर हुए हैं...'
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