भारतीय एक्सपोर्टरों को मिली बड़ी राहत, कैबिनेट ने 45,060 करोड़ की दो योजनाओं को दी मंजूरी

कैबिनेट ने निर्यातकों के लिए एक Credit Guarantee Scheme भी लॉन्च करने को मंजूरी दे दी. इससे निर्यातकों, जिनमें MSMEs भी शामिल हैं, को 20,000 करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त ऋण सुविधाएं प्रदान की जा सके.

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कैबिनेट के फैसले के मुताबिक, EPM दो इंटीग्रेटेड उप-योजनाओं (sub-schemes) के माध्यम से ऑपरेट करेगा.

अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariffs) के असर से जूझ रहे भारतीय एक्सपोर्टरों के लिए राहत की खबर है. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के निर्यात इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए 25,060 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (EPM) को मंजूरी दे दी है. एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (EPM) के तहत, हाल में वैश्विक टैरिफ वृद्धि से प्रभावित सेक्टरों जैसे कपड़ा, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और समुद्री उत्पादों को सहायता प्रदान की जाएगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक अहम बैठक में केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (EPM) को मंज़ूरी दी गई.

कैबिनेट की तरफ से जारी एक नोट के मुताबिक, "यह मिशन वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 के लिए 25,060 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय (outlay) के साथ निर्यात संवर्धन के लिए एक व्यापक, लचीला और डिजिटल रूप से संचालित संरचना प्रदान करेगा. ईपीएम कई खंडित योजनाओं से एक एकल, परिणाम-आधारित और अनुकूलनीय तंत्र की ओर कार्यनीतिक बदलाव का प्रतीक है, जो वैश्विक व्यापार चुनौतियों और निर्यातकों की उभरती आवश्यकताओं का त्वरित प्रत्युत्तर हो सकता है."

कैबिनेट के फैसले के मुताबिक, एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (EPM) दो इंटीग्रेटेड उप-योजनाओं (sub-schemes) के माध्यम से ऑपरेट करेगा:

1. निर्यात प्रोत्साहन (NIRYAT PROTSAHAN)- इसके जरिये फोकस MSMEs को ब्याज अनुदान (interest subvention) की सुविधा, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए क्रेडिट कार्ड  और नए बाजारों में विविधीकरण (diversification) के लिए ऋण वृद्धि सहायता जैसे साधनों के माध्यम से उन तक किफायती व्यापार वित्त (affordable trade finance) पहुँचाने पर रहेगा.

2. निर्यात दिशा (NIRYAT DISHA)- इसके तहत फोकस गैर-वित्तीय सक्षमताओं पर केंद्रित है जो बाज़ार की तैयारी और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए ज़रूरी है"

यह मिशन उन चुनौतियों का प्रत्यक्ष रूप से समाधान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो भारतीय निर्यात को बाधित करती हैं. इनमें शामिल हैं:

-सीमित और महंगी व्यापार वित्त पहुंच,
-अंतर्राष्ट्रीय निर्यात मानकों के साथ अनुपालन की उच्च लागत,
-अपर्याप्त निर्यात ब्रांडिंग और खंडित बाज़ार पहुंच और
-आंतरिक और कम निर्यात-तीव्रता वाले क्षेत्रों में निर्यातकों के लिए लॉजिस्टिक्‍स संबंधी हानि

Directorate General of Foreign Trade (DGFT) इस मिशन कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करेगा.

इस मिशन के ज़रिये MSMEs के लिए किफायती व्यापार वित्त पहुंच को सुगम बनाना; अनुपालन और प्रमाणन सहायता के माध्यम से निर्यात की तैयारी को बढ़ाना; भारतीय उत्पादों के लिए बाजार पहुंच और दृश्यता में सुधार करना, गैर-पारंपरिक जिलों और सेक्टरों से निर्यात को बढ़ावा देना  और विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स और संबद्ध सेवाओं में रोजगार सृजन करना"

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एक और योजना को दी मंजूरी

साथ ही, कैबिनेट ने एक और अहम फैसले में निर्यातकों के लिए एक Credit Guarantee Scheme for भी लॉन्च करने को मंज़ूरी दे दी. इससे निर्यातकों, जिनमें MSMEs भी शामिल हैं, को 20,000 करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त ऋण सुविधाएं प्रदान की जा सके.

कैबिनेट के मुताबिक, "इस योजना से भारतीय निर्यातकों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के बढ़ने और नए एवं उभरते बाजारों में विविधीकरण को मदद मिलने की उम्मीद है. सीजीएसई के तहत संपार्श्विक-मुक्त ऋण को सुलभ करके, यह योजना तरलता को मजबूत करेगी, सुचारू व्यावसायिक संचालन सुनिश्चित करेगी और 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति को सुदृढ़ करेगी. इससे आत्मनिर्भर भारत की ओर देश की यात्रा को और मजबूती मिलेगी".

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