केरल में विपक्षी दल कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ विधायकों ने बुधवार को विधानसभा में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का रास्ता रोका और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ ‘वापस जाओ' के नारे लगाए तथा बैनर दिखाए. यह घटना तब हुई जब मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और अध्यक्ष पी श्रीरामकृष्णन ने खान को नीति संबोधन के लिए विधानसभा को बुलाया. प्रदर्शन के तकरीबन 10 मिनट के बाद मार्शलों ने बल प्रयोग कर विपक्षी सदस्यों को हटाया और राज्यपाल के लिए आसन तक रास्ता बनाया. राज्यपाल के आसन तक पहुंचते ही राष्ट्रगान बजाया गया लेकिन विपक्ष के सदस्य आसन के समीप एकत्रित हो गए और राष्ट्रगान पूरा होने के तुरंत बाद उन्होंने ‘राज्यपाल वापस जाओ' के नारे लगाने शुरू कर दिए. जब खान ने अपना नीति संबोधन शुरू किया तो विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए विधानसभा से बहिर्गमन किया.
नीति संबोधन का बहिष्कार करने के बाद उन्होंने विधानसभा के प्रवेश द्वार पर धरना दिया..
गौरतलब है कि नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने वाला पहला राज्य था. इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाली पहली सरकार भी केरल सरकार ही थी. इन दोनों मुद्दों पर सरकार का राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) से टकराव सामने आया था. गवर्नर ने विधानसभा में प्रस्ताव लाने के सरकार के कदम को असंवैधानिक बताया था. राज्य सरकार के इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने पर भी राज्यपाल ने नाराजगी जाहिर की. तब उन्होंने कहा था कि सरकार ने अदालत में याचिका दाखिल करने से पहले उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी.
केरल में विपक्ष के नेता ने गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान को बताया पीएम मोदी-अमित शाह का 'एजेंट'
राज्यपाल ने कहा था कि उन्हें इसकी सूचना दी जानी चाहिए थी. सरकार से तो राज्यपाल का टकराव जारी ही है लेकिन अब वहां मुख्य विपक्षी दल ने भी गवर्नर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्नीथला (Ramesh Chennithala) ने आरिफ मोहम्मद खान को एजेंट बताया था.
आरिफ मोहम्मद खान कहा था कि संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) पूरी तरह से केंद्रीय सूची का विषय है और सभी राज्यों को इसे लागू करना ही पड़ेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि भारत की परंपरा ज्ञान की परंपरा है. एक कार्यक्रम में खान से जब अनेक राज्य सरकारों द्वारा सीएए का विरोध किए जाने के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा, 'सीएए खालिस और खालिस केंद्रीय सूची का विषय है, ये राज्य सूची का विषय नहीं है. हम सभी को अपने अधिकार क्षेत्र को पहचानने की जरूरत है.' यह पूछे जाने पर कि क्या विरोध कर रही राज्य सरकारें इसे लागू करेंगी, उन्होंने कहा, 'इसके अलावा कोई चारा नहीं है, उन्हें लागू करना ही पड़ेगा.'
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