CAA पर अमित शाह की घोषणा के बाद फिर बोले CM पिनराई विजयन- 'केरल में नहीं करेंगे लागू'

अमित शाह ने पिछले दिनों घोषणा की है कि कोविड वैक्सीनेशन ड्राइव खत्म होने के बाद CAA लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, इसके बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने एक बार फिर इस कानून को लेकर अपना रुख दोहराया है.

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CAA को लेकर एक बार फिर पिनराई विजयन ने दिखाया विरोध. (फाइल फोटो)
तिरुवनंतपुरम:

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शनिवार को एक बार फिर नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) पर अपना रुख दोहराते हुए कहा कि केरल में यह कानून लागू नहीं किया जाएगा. दरअसल, पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने CAA को लेकर एक नई घोषणा करते हुए कहा कि कोरोनावायरस का वैक्सीनेशन ड्राइव खत्म होते ही कानून को लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

पिनराई विजयन शनिवार को राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए चल रहे चुनावी अभियान के कार्यक्रम में थे. उन्होंने कहा कि 'गृहमंत्री ने कहा है कि वो कोविड वैक्सीनेशन ड्राइव खत्म होने के बाद CAA लागू करना शुरू करेंगे. हमने पहले ही अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है. यह सरकार यह आपदा केरल में नहीं आने देगी.' उन्होंने कहा कि 'हमसे कहा गया है कि एक राज्य सरकार के तौर पर हम यह कैसे कह सकते हैं कि हम इसका पालन नहीं करेंगे? हम विरोध कर रहे हैं. हम यहां CAA लागू नहीं करेंगे.'

दरअसल, अमित शाह ने पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में एक रैली में मटुआ समुदाय के हिंदू अप्रवासियों को भरोसा दिलाते हुए कहा था कि वैक्सीनेशन ड्राइव के बाद CAA को लागू करना शुरू किया जाएगा.

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केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने संसद में इस कानून के पास होने के बाद देशभर में हो रहे इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों के बीच भी कहा था कि वो इस कानून को अपने राज्य में लागू नहीं करेगी. पिनराई विजयन की सरकार, इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली भी पहली सरकार बनी थी.

पिछले साल जनवरी में लागू होने वाला CAA काफी विवादास्पद कानून रहा है. इसके खिलाफ देशभर में बड़े विरोध-प्रदर्शन हुए हैं. इस कानून को लेकर डर है कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीज़न्स के साथ मिलने के बाद इस कानून के तहत लाखों मुस्लिम अपनी भारतीय नागरिकता खो देंगे. 

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इस कानून का विरोध इस बात पर भी हुआ है कि इसमें भारतीय नागरिकता को तय करने के लिए पहली बार धर्म को क्राइटेरिया बनाया गया है. इस कानून में 2015 से पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम अप्रवासियों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है. केंद्र सरकार का कहना है कि यह कानून ऐसे लोगों की मदद के लिए हैं, जिन्होंने इन देशों में धार्मिक अत्याचार का सामना किया है और उसने भरोसा दिया है कि इससे किसी भी भारतीय की नागरिकता खतरे में नहीं आएगी.

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