राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने दावा किया है कि एडटेक कंपनी बायजू कथित तौर पर बच्चों और उनके माता-पिता को फोन कर उन्हें धमकी दे रही है कि अगर उन्होंने इससे कोर्स नहीं खरीदा तो उनका भविष्य बर्बाद हो जाएगा. आयोग ने पिछले हफ्ते शुक्रवार को बायजू के सीईओ बायजू रवींद्रन को सम्मन जारी कर उन्हें 23 दिसंबर को छात्रों के लिए अपने पाठ्यक्रमों की हार्ड सेलिंग और गलत बिक्री के कथित कदाचार को लेकर व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा है.
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने मंगलवार को एएनआई को बताया, "हमें पता चला कि कैसे बायजू बच्चों और उनके माता-पिता को फोन कर उन्हें धमकी देता है कि उनकी बात नहीं मानी तो उनका भविष्य बर्बाद हो जाएगा. हम कार्रवाई शुरू करेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो रिपोर्ट बनाएंगे और सरकार को लिखेंगे."
आयोग ने एक समाचार रिपोर्ट के आधार पर ये कार्रवाई की, जिसमें कहा गया कि BYJU'S की बिक्री टीम माता-पिता को अपने बच्चों के लिए पाठ्यक्रम खरीदने को लेकर लुभाने के लिए कदाचार में लिप्त थी.
एनसीपीसीआर ने एक बयान में कहा, यह भी दावा किया गया है कि उनका शोषण किया गया और उन्हें धोखा दिया गया. साथ ही उनकी बचत और भविष्य को खतरे में डाला गया.
आयोग ने आगे कहा कि समाचार रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि BYJU'S सक्रिय रूप से ग्राहकों को उन पाठ्यक्रमों के लिए ऋण-आधारित समझौतों में प्रवेश करने के लिए बरगला रहा है, जिन्हें ग्राहकों द्वारा वापस नहीं किया जा सकता है. बाल अधिकार पैनल ने कहा कि लेख में आगे दावा किया गया है कि एड-टेक प्लेटफॉर्म को माता-पिता से कई शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन वह इस बारे में कुछ नहीं कर रहा है.
इसमे कहा गया, "सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 14 के तहत, आयोग के पास सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 और विशेष रूप से निम्नलिखित मामलों के संबंध में एक सिविल कोर्ट की सभी शक्तियाँ हैं, जो एक मुकदमे की तरफ जा रही हैं- (ए) किसी को बुलाने और उपस्थिति को लागू करने के लिए व्यक्ति और शपथ पर उसकी परीक्षा, (बी) किसी भी दस्तावेज की खोज और उत्पादन, (सी) हलफनामों पर साक्ष्य प्राप्त करना, (डी) किसी भी अदालत या कार्यालय से किसी भी सार्वजनिक रिकॉर्ड या उसकी प्रति की मांग करना, और (ई) परीक्षा के लिए गवाहों या दस्तावेजों की कमीशन जारी करना."
इसमें कहा गया है कि अगर रवींद्रन बिना किसी वैध बहाने के आदेश का पालन करने में विफल रहते हैं, तो वह "गैर-उपस्थिति के परिणामों के अधीन होगा, जैसा कि नियम 10 और नियम 12, नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश XVI के नियम में प्रदान किया गया है."