संसद का बजट सत्र कल से, इन विधेयकों को पेश करेगी सरकार, जानें विपक्षी इंडिया गठबंधन का क्या होगा

संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है. दो चरण में चलने वाले बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी तक चलेगा. इसका दूसरा चरण 10 मार्च से शुरू होकर चार अप्रैल तक चलेगा. इस सत्र के शुरूआत में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संबोधित करेंगी.

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नई दिल्ली:

संसद का बजट सत्र शुक्रवार हो रहा है. इसके पहले सरकार ने गुरुवार को सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया. इसमें सरकार ने विधायी कार्य का एजेंडा पेश किया. सरकार ने बजट सत्र में चर्चा और पारित करने के लिए वक्फ (संशोधन) विधेयक के साथ तीन अन्य नए मसौदा कानूनों को सूचीबद्ध किया है. सरकार ने सदन को सुचारु रूप में चलाने में विपक्ष का सहयोग मांगा है. सत्र की शुरूआत में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अभिभाषण देंगी. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को बजट पेश करेंगी. बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी को खत्म होगा. बजट सत्र का दूसरा चरण 10 मार्च से शुरू होगा. बजट सत्र का समापन चार अप्रैल को होगा. शीतकालीन सत्र की ही तरह बजट सत्र के भी हंगामेदार रहने की संभावना है. विपक्ष इस सत्र में बीजेपी की विफलता के रूप में प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में बुधवार को हुई भगदड़ को मुद्दा बनाने की कोशिश करेगा.  

सर्वदलीय बैठक में क्या हुआ

गुरुवार को हुई सर्वदलीय बैठक के बाद संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि बैठक बहुत रचनात्मक रही. उन्होंने बताया कि बैठक में 36 दलों के 52 नेता शामिल हुए.रिजिजू ने कहा कि महाकुंभ में भगदड़ को लेकर संसद में चर्चा की विपक्ष की मांग पर कार्य मंत्रणा समिति फैसला करेगी.

सरकार ने बजट सत्र में चर्चा और पारित करने के लिए वक्फ (संशोधन) विधेयक के साथ तीन अन्य नए मसौदा कानूनों को सूचीबद्ध किया है. वक्फ पर संशोधन विधेयक की समीक्षा के लिए बनी संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) ने गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को अपनी रिपोर्ट सौंपी है. इससे पिछले साल लाए गए विधेयक पर संशोधन पेश करने का रास्ता साफ हो गया है.सरकार ने बजट सत्र में जिन तीन और विधेयकों को सूचीबद्ध किया है, उनमें 'विमान वस्तुओं में हितों का संरक्षण विधेयक','त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक' और 'आव्रजन और विदेशी विधेयक' शामिल हैं. इनके अलावा वित्त विधेयक, 2025 और संबंधित अनुदान मांगों और विनियोग विधेयकों को भी बजट सत्र के लिए सूचीबद्ध किया गया है. ऐसे 10 अन्य विधेयक भी हैं, जो पिछले सत्र से दोनों सदनों में लंबित हैं.

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संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि सर्वदलीय बैठक में 36 दलों के 52 नेता शामिल हुए.

इस बार का बजट सत्र कितना अलग होगा

बीजेपी पीछले तीन बार से सत्ता में है. इस दौरान यह पहली बार होगा कि जब सरकार बजट पेश करेगी और बीजेपी के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं होगा. बीते साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी केवल 240 सीटें ही जीत पाई थी. इसके बाद उसने जेडीयू और टीडीपी के सहयोग से लगातार तीसरी बार सरकार बनाई थी. इसलिए सरकार पर अच्छा बजट पेश करने का दबाव भी है, जिससे पीएम नरेंद्र मोदी की विकास पुरुष की इमेज और मजबूत हो सके. 

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इसके पहले संसद का शीतकालीन सत्र बहुत हंगामेदार रहा था. हंगामे के कारण अधिकांश दिनों तक सदन में कोई विधायी कामकाज नहीं हो पाया था. हालात यहां तक पहुंच गए थे कि बीजेपी के कुछ सांसदों ने राहुल गांधी पर धक्का देकर गिराने का आरोप लगाया था. इसको लेकर दोनों पक्षों ने पुलिस में एक दूसरे के खिलाफ मामला भी दर्ज कराया था. यह विवाद बाबा साहेब आंबेडकर पर दिए गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान के बाद शुरू हुआ था. 

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क्या विपक्षी इंडिया गठबंधन फिर एक हो पाएगा

सरकार के लिए एक अच्छी बात यह हो सकती है कि बजट सत्र में विपक्ष बिखरा हुआ नजर आ सकता है. दरअसल विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेतृ्त्व के सवाल पर इंडिया गठबंधन बंट गया है. तृणमूल कांग्रेस,समाजवादी पार्टी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना, लालू यादव की आरजेडी, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, शरद पवार की एनसीपी जैसे दलों ने कहा है कि कांग्रेस को इस गुट का नेतृत्व छोड़ देना चाहिए. इंडिया गठबंधन के नेतृत्व के अलावा दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी इंडिया गठबंधन में पैदा हुई दरार और चौड़ी हुई है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और सपा जैसे दलों ने आम आदमी पार्टी का समर्थन किया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को दिल्ली के बुराड़ी इलाके में रोड शो भी किया.

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सरकार की ओर से गुरुवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शामिल विभिन्न दलों के नेता.

बजट सत्र में विपक्ष अन्य मुद्दों के अलावा कुंभ में बुधवार को हुई भगदड़ की घटना को प्रमुखता से उठाकर इसे बीजेपी सरकार की विफलता के रूप में पेश करने की कोशिश करेगा. इसके अलावा विपक्ष दिल्ली चुनाव को देखते हुए आंबेडकर के अपमान के मामले को फिर से गरमाने की कोशिश करेगा. इसके अलावा बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दा भी विपक्ष उठा सकता है. 

चुनाव वाले राज्यों का बजट पर असर?

बजट से सरकार जनता को खुश करने की कोशिश करेगी. क्योंकि 2025-26 में कई प्रमुख राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं. इस साल बिहार और अगले साल असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल  और पुंडीचेरी जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें से असम में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार है तो बिहार सरकार में वह साझीदार है. वहीं बंगाल और तमिलनाडु में पैर जमाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि बजट में इन चुनावों का असर भी दिखाई दे. 

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