Budget 2021 : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण कोविड-19 के बीच देश का केंद्रीय बजट पेश करने की तैयारी कर रही हैं. इस बार चूंकि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था भी कोविड के प्रभाव से निकलने की कोशिश कर रही है, ऐसे में देखना है कि सरकार इस बार के बजट में क्या लेकर आती है. पिछले कुछ महीनों में सरकार का फोकस अर्थव्यवस्था को राहत पहुंचाने में रहा है, ऐसे में देखना है कि क्या इस बार के बजट में कुछ बड़ा बदलाव किया जाएगा, रिस्क लिया जाएगा या फिर सरकार अभी भी पूरी तरह रिकवरी पर फोकस रखेगी.
इस बजट में बदलावों पर इसलिए भी नज़र है क्योंकि मोदी सरकार ने पिछले साल के बजट में एक बड़ा बदलाव किया था. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बजट पेश करते हुए ऐलान किया था कि सरकार इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव कर रही है. उन्होंने नए स्लैब की घोषणा की थी. ऐसा देश के इतिहास में पहली बार था जब देश में इनकम टैक्स स्लैब के दो विकल्प रखे गए.
पिछले साल रखे गए नए नियमों के तहत,
- 5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं
- 5 से 7.5 लाख: 10%, 7.5 से 10 लाख: 15%
- 10 से 12.5 लाख की आय पर अब 20% टैक्स
- 12.5 लाख से 15 लाख तक 25% टैक्स
- 15 लाख के ऊपर पहले की तरह 30%
लेकिन इन नए स्लैब को लेकर उत्साह थोड़ा ठंडा पड़ा क्योंकि सबसे कम स्लैब में टैक्स रेट कम तो हैं, लेकिन नए स्लैब को अपनाने का मतलब है कई टैक्स बेनेफिट्स को छोड़ना. यानी एक जगह से राहत तो दूसरी ओर से दबाव. बचत योजनाओं में निवेश करने वालों या होम लोन ले चुके लोगों या घर के लिए दिए गए किराये पर छूट लेने वालों को पुराने दरों से ही टैक्स फाइल करना होगा. टैक्सपेयर्स को अगर नए कम टैक्स रेट वाले टैक्स स्लैब से टैक्स फाइल करना है तो उनकी टैक्स देनदारी, सभी तरह की छूट छोड़ने के बाद, ज्यादा हो जाएगी, जिसका कोई मतलब नहीं है.
यह भी पढ़ें : Budget 2021 : 'सरकार का फोकस सप्लाई पर, लेकिन डिमांड नहीं बढ़ाई तो रिकवरी का फायदा नहीं'
सरकार ने करदाताओं के सामने दोनों टैक्स स्लैब का विकल्प रखा है और उन्हें अपनी सुविधा के हिसाब से स्लैब चुनने की स्वतंत्रता दी है, लेकिन नए टैक्स रिजीम को देखते हुए इसे वापस लेने की मांग भी उठी है. ऐसे में देखना है कि क्या सरकार इस बजट में टैक्स रिजीम में कोई बदलाव करती है या फिर अब वो इसी हिसाब से चलेगी.