'पहले समय, फिर तारीख': BJP सरकार ने बदली बजट की कई परंपराएं, जानें- अब तक क्या-क्या बदला? 

बीजेपी की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने 1924 से चली आ रही रेल बजट की परंपरा को भी साल 2016 में बदल दिया था. 2016 से पहले रेल बजट आम बजट से अलग और पहले पेश किया जाता था लेकिन 2016 में इसे बदलते हुए तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाकर पेश किया था.

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019 में जब पहली बार बजट पेश किया तो उन्होंने आजादी के बाद 1947 से चली आ रही ब्रीफकेस परंपरा को बदल दिया.
नई दिल्ली:

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बजट (Budget) से जुड़ी कई परंपराओं में अहम बदलाव किए हैं. साल 2017 में मोदी सरकार ने बजट पेश करने की तारीख में अहम बदलाव करते हुए उसे 1 फरवरी को कर दिया था. उससे पहले आम बजट फरवरी के आखिरी कार्यदिवस (28 या 29 फरवरी) को पेश किया जाता था. 2017 में पीएम मोदी ने खुद बताया था कि उनकी सरकार ने बजट पेश करने की तारीख क्यों बदली? संसद में उन्होंने कहा था कि चूंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है और जून के पहले हफ्ते से बारिश शुरू हो जाती है. इस लिहाज से बचे हुए तीन महीनों (मार्च, अप्रैल और मई) में बजट का इस्तेमाल करना मुश्किल होता था. पीएम ने कहा था नई परंपरा से एक महीने का ज्यादा वक्त मिल सकेगा.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019 में जब पहली बार बजट पेश किया तो उन्होंने आजादी के बाद 1947 से चली आ रही ब्रीफकेस परंपरा को बदल दिया. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट का निर्मला सीतारमण ने भारतीयकरण करते हुए उसे लाल कपड़े में लपेट कर बही-खाता का स्वरूप दिया था. 5 जुलाई, 2019 को वह लाल कपड़े के बस्ते में बजट दस्तावेज लेकर संसद पहुंची थीं. तब उन्होंने कहा था कि देश का बजट दरअसल देश का बही-खाता होता है, इसलिए उन्होंने बजट के स्वरूप में बदलाव किया है. इससे पहले देश के पहले वित्त मंत्री आर.सी.के.एस. चेट्टी ने जब 1947 में आजादी के बाद देश का पहला बजट पेश किया था तो वह बजट दस्तावेजों को चमड़े के एक ब्रीफकेस में लेकर संसद पहुंचे थे. तब से देश के हर वित्त मंत्री ने इस परंपरा का पालन किया था.

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बीजेपी की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने 1924 से चली आ रही रेल बजट की परंपरा को भी साल 2016 में बदल दिया था. 2016 से पहले रेल बजट आम बजट से अलग और पहले पेश किया जाता था लेकिन 2016 में इसे बदलते हुए तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाकर पेश किया था. देश का पहला रेल बजट वर्ष 1924 में पेश हुआ था.

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मोदी सरकार से पहले बीजेपी की अगुवाई वाली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने भी बजट से जुड़ी एक पुरानी परंपरा को बदल दिया था. 1999 से पहले सभी बजट शाम के पांच बजे पेश किए जाते थे लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 1999 में इसे परंपरा को तोड़ते हुए पहली बार आम बजट सुबह 11 बजे पेश किया था. तब से बजट लोकसभा में सुबह 11 बजे ही पेश हो रहा है.

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बता दें कि देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम आजादी के बाद से सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड है. उन्होंने कुल 10 बार बजट पेश किया था. इनमें आठ पूर्ण बजट और दो अंतरिम बजट शामिल है. देश के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की सरकार में मोरारजी देसाई ने वित्त मंत्री रहते 10 बार बजट पेश किया था. पीएम रहते हुए उन्होंने कोई बजट पेश नहीं किया था. मोरारजी देसाई ऐसे पहले वित्त मंत्री रहे हैं, जिन्होंने अपने जन्मदिन 29 फरवरी को 1960 और 1968 में दो बार देश का बजट पेश किया था.
 

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