बसपा नेता अंबिका चौधरी ने छोड़ी पार्टी, कोई जिम्मेदारी नहीं मिलने से थे आहत

अंबिका चौधरी ने त्यागपत्र में कहा कि पार्टी में उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई थी, लिहाजा वो खुद को अनुपयोगी मान रहे थे. बेटे को सपा से जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव का उम्मीदवार बनाए जाने से हितों को टकराव को भी उन्होंने त्यागपत्र की एक वजह बताया है. 

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Ambika Chaudhary के बेटे सपा से लड़ रहे जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव
लखनऊ:

बसपा को यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) से पहले एक और झटका लगा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी ने इस्तीफा दे दिया है. एक दिन पहले ही समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने अंबिका चौधरी (Ambika Choudhary quits BSP) के बेटे को बलिया जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार बनाया था. चौधरी ने त्यागपत्र में कहा कि पार्टी में उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई थी, लिहाजा वो खुद को अनुपयोगी मान रहे थे. बेटे को सपा से जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव का उम्मीदवार बनाए जाने से हितों को टकराव को भी उन्होंने त्यागपत्र की एक वजह बताया है. अंबिका चौधरी ने कहा कि अभी उन्होंने समाजवादी पार्टी ज्वाइन नहीं की है. लेकिन नैतिक आधार पर उनका बसपा में बने रहना ठीक नहीं था.

बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) को भेजे त्यागपत्र में चौधरी ने लिखा है कि पिछले विधानसभा चुनाव के पहले जनवरी 2017 से ही मैं एक निष्ठावान कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी को सेवाएं दे रहा था. मुझको जब भी कोई छोटा बड़ा दायित्व दिया गया तो उसे पूरी लगन और जिम्मेदारी से निभाया भी. इस दौरान बसपा प्रमुख मायावती जी औऱ अन्य नेताओं का सहयोग भी मिला.

2019 के लोकसभा चुनाव के बाद अज्ञात कारणों से मुझे पार्टी की किसी भी बैठक में कोई भी छोटी बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई. इस हालत में मैं अपने आपको पार्टी में उपेक्षित और अनुपयोगी मान रहा हूं. समाजवादी पार्टी ने 19 जून को मेरे बेटे आनंद चौधरी को जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए प्रत्याशी घोषित किया था. लिहाजा मेरी निष्ठा और हितों को लेकर कोई सवाल उठे, इससे पहले मैं नैतिक आधार पर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपना त्यागपत्र मैं बहन मायावती को भेज रहा हूं.

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अंबिका चौधरी मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह से उनके बेहद करीबी संबंध रहे हैं. अंबिका चौधरी ने 2017 में सपा में पारिवारिक कलह के दौरान पार्टी छोड़ दी थी. चौधरी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पढ़े अंबिका चौधरी राजनीति में आने से पहले पीसीएसजे परीक्षा पास कर जज बन गए थे. लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कहने पर वो न्यायपालिका का करियर छोड़कर राजनीति में आ गए थे. चंद्रशेखर ने उनसे कहा था कि राजनीति में रहकर वो समाज की बेहतर तरीके से सेवा कर पाएंगे. चौधरी गायन और लेखन के क्षेत्र में भी अपनी गहरी छाप छोड़ चुके हैं. 

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आनंद चौधरी की सपा से उम्मीदवारी के ऐलान के बाद बसपा विधानमंडल दल के उप नेता उमा शंकर सिंह ने अंबिका चौधरी पर विश्वासघात का आरोप लगाया था. अंबिका चौधरी फेफना विधानसभा सीट से पिछला चुनाव लड़े थे. सिंह ने कहा कि आनंद चौधरी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव बसपा से जीते मगर सपा ने उन्हें उम्मीदवार घोषित कर दिया. जिला पंचायत के अध्यक्ष (Zila Panchayat Elections) पद का चुनाव 3 जुलाई को होगा. उसी दिन मतगणना भी होगी. जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए चुनाव तीन जुलाई को सुबह 11 बजे से 3 बजे तक होगा. उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में ये चुनाव होगा. जबकि पंचायत चुनाव पिछले महीने कराए गए थे.

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