पाकिस्तान से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा (International Border) पर सुरंगों (Tunnel) के जरिये आतंकियों की सेंध सीमा सुरक्षा बल (BSF) के लिए चिंता का कारण बनी हुई हैं. अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पिछले 8 वर्षों में नौ सुरंगें मिल चुकी हैं, जो सुरक्षा बल के लिए किरकिरी की वजह बन गई हैं. बीएसएफ का मानना है कि पाकिस्तानी सुरक्षाबलों और अत्याधुनिक तकनीक के बिना ऐसी सुरंगों का निर्माण संभव नहीं है. इसको लेकर पाकिस्तान (Pakistan) से विरोध भी दर्ज कराया गया है. 22 नवंबर को सांबा सेक्टर (Samba Sector) में सुरक्षाकर्मियों ने 150 मीटर लंबी सुरंग का पता लगाया था. माना जा रहा है कि इसके एक दिन पहले मारे गए 4 आतंकियों ने इसी सुरंग के जरिये घुसपैठ की थी.
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एक दिन पहले ही 22 नवंबर को बीएसएफ ने सीमा पर लंबी सुरंग का पता लगाया था. इसके जरिये आतंकियों ने घुसपैठ थी. घुसपैठ करने वाले आतंकियों को सुरक्षाबलों ने भले ही ढेर कर दिया हो पर यह कई सवाल छोड़ गया. अंतररष्ट्रीय सीमा पर 2012 से अब तक 9 सुरंगों का पता लगाया जा चुका है. साल 2012 और 2014 में अखनूर सेक्टर में दो सुरंगों का पता लगाया गया. 2013 में सांबा सेक्टर में एक सुरंग मिली. साल 2016 में दो और 2017 में भी दो सुरंगें मिली थीं.
साल 2016 में ही मार्च में भी बीएसएफ ने आरएसपुरा सेक्टर में एक सुरंग का पता लगाकर पाकिस्तान की साजिश को नाकाम किया था. अखनूर सेक्टर में भी यही वाकया दोहराया गया. बीएसएफ के मुताबिक ऐसी टनल बनाने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होती है. बिना पाकिस्तानी रेंजर्स की मदद के इस तरह की टनल बनाना नामुमकिन है. कई बार बीएसएफ ने पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ मीटिंग में ऐसे टनल को लेकर विरोध दर्ज कराया है.
ऐसी सुरंग मिलती हैं, जिनका एक सिरा भारत और दूसरा पाकिस्तान में होता है. इस साल भी अभी तक दो सुरंगें सामने आ चुकी हैं. अगस्त के महीने में भी ऐसी ही सुरंग मिली थी. अब 22 नवंबर को भी सांबा सेक्टर में सुरंग के सामने आने के बाद बीएसएफ और पुलिस काफी सतर्क है. इस सुरंग को भी लेकर बीएसएफ जल्द ही पाक रेंजर्स के साथ मीटिंग में विरोध दर्ज कराएगी.