कर्नाटक में आरक्षण को लेकर घिरे बीएस येदियुरप्पा, 4 मार्च तक सुनाना होगा फैसला

लिंगायतों की पंचमसाली उपजाती के एक बड़े धर्म गुरु बसवा मृत्युंजय स्वामी ने कसम खाई है कि जब तक पंचमसालियों को 15 फीसदी आरक्षण शिक्षण संस्थानों और नौकरी में नहीं दी जाएगी, वो मठ वापस नहीं लौटेंगे.

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मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (फाइल फोटो)
बेंगलुरु:

बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में लिंगायतों का एक धड़ा 15 फीसदी  आरक्षण की मांग को लेकर धरने पर बैठा है. इस मुहिम को जो लोग हवा दे रहे हैं वो मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के विरोधी हैं. जैसे मौजूदा बीजेपी विधायक बसवण्णा गौड़ पाटिल यतनाल. ऐसे में चर्चा गर्म है कि बढ़ती उम्र की वजह से कद्दावर लिंगयत नेता बीएस येदियुरप्पा का विकल्प तलाशा जा रहा है. लिंगायतों की पंचमसाली उपजाती के एक बड़े धर्म गुरु बसवा मृत्युंजय स्वामी ने कसम खाई है कि जब तक पंचमसालियों को 15 फीसदी आरक्षण शिक्षण संस्थानों और नौकरी में नहीं दी जाएगी, वो मठ वापस नहीं लौटेंगे. साथ ही ये भी कि येदियुरप्पा सरकार 4 मार्च तक अपना फैसला सुनाए.

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धरने पर बैठने से पहले बेंगलुरु के पैलेस ग्राउंड में पंचमसालियों ने एक बड़ी रैली की. इस बीच येदियुरप्पा काफी परेशान हैं, क्योंकि कहते हैं कि लिंगायतों की 100 के आसपास जो उप-जातियां हैं उनमें पंचमसाली सबसे बड़ी है और 55 से 60 फीसदी लिंगयतों की आबादी पंचमसालियों की है, यानी कृषक लिंगयतो की. पंचमसाली लिंगयत नेता मुर्गेश नीरानी ने कहा है कि, “देखिए यह लोग कृषक हैं. गांव में रहते हैं और आर्थिक तौर पर कमजोर हैं. ऐसे में ढाई दशकों से इनके लिए हम लोग पढ़ाई लिखाई और नौकरी में आरक्षण की मांग कर रहे हैं.” वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी विधायक बसवण्णा गौड़ पाटिल यतनाल ने ये कहकर आरक्षण कि इस मुहिम को हवा दे दी कि अगला मुख्यमंत्री कर्नाटक से ही होगा. बता दें कि, 78 साल के येदियुरप्पा की पकड़ पार्टी और लिंगयत समाज पर उम्र की वजह से कमजोर हुई है. ऐसे में दूसरी ओर येदियुरप्पा को घेरने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है.

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