- ब्रिटिश F-35B स्टील्थ फाइटर जेट तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर 19 दिन से खड़ा है.
- इसे यूनाइटेड किंगडम ले जाने के लिए C-17 ग्लोबमास्टर विमान में लोड करने की योजना है.
- इमरजेंसी लैंडिंग खराब मौसम के कारण HMS प्रिंस ऑफ वेल्स पर नहीं हो सकी थी.
- विमान में इंजीनियरिंग समस्या आ गई है, जिसके कारण यह उड़ान भरने में असमर्थ है.
केरल के तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 19 दिन पहले इमरजेंसी लैंडिग करने वाला ब्रिटिश F-35B स्टील्थ फाइटर जेट अभी भी वहीं खड़ा है लेकिन उसको लेकर एक बड़ा अपडेट है. फील्ड मरम्मत के प्रयास अभी तक सफल नहीं होने के कारण अब इसे एक बड़े जेट में लोड करके यूनाइटेड किंगडम ले जाने की तैयारी है. अब इसे C-17 ग्लोबमास्टर परिवहन विमान पर लोड करके एयरलिफ्ट करने का विकल्प तलाशा जा रहा है. इस श्रेणी के फाइटर जेट के लिए यह दुर्लभ कदम होगा.
एफ-35बी लाइटनिंग विमान, ब्रिटेन की रॉयल नेवी के बेड़े का हिस्सा है और इसे वर्टिकल लैंडिंग की क्षमता के लिए जाना जाता है. वर्तमान में इंडो-पैसिफिक में तैनात रॉयल नेवी के प्रमुख विमान वाहक, HMS प्रिंस ऑफ वेल्स पर यह लौटने में असमर्थ हो गया था. इसके बाद इसे केरल के एयरपोर्ट की ओर मोड़ दिया गया, जहां इसने इमरजेंसी लैंडिग की थी.
पिछले सप्ताह ब्रिटिश उच्चायोग द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, "प्रतिकूल मौसम की स्थिति" के कारण इमरजेंसी में इसका मार्ग परिवर्तन किया गया था. खराब मौसम की वजह से यह जेट HMS प्रिंस ऑफ वेल्स पर सुरक्षित रूप से नहीं उतर सकता था. फिर पायलट ने 15 जून को इस फाइटर जेट को तिरुवनंतपुरम में सुरक्षित उतार लिया. हालांकि, उतरने के बाद से, विमान में ऐसी खराबी आ गई है जिसे ब्रिटेन के अधिकारियों ने "इंजीनियरिंग समस्या" करार दिया है, जिसके कारण यह उड़ान भरने में असमर्थ हो गया है.
नियमित भारत-ब्रिटेन नौसैनिक अभ्यास के बाद, जेट ने 15 जून को स्थानीय समयानुसार सुबह लगभग 9:30 बजे आपातकालीन लैंडिंग की थी. इस फाइटर जेट में फ्यूल लेबल अपेक्षा से कम था. भारतीय वायु सेना के सूत्रों ने पुष्टि की कि रॉयल नेवी के अनुरोध पर लॉजिस्टिक सहायता बढ़ा दी गई थी.
F-35 कार्यक्रम सैन्य विमानन इतिहास में सबसे बड़ी और सबसे महंगी हथियार विकास पहल है. वैश्विक स्तर पर, F-35 बेड़े ने कई सेवाओं और लड़ाकू थिएटरों में 800,000 घंटे से अधिक उड़ान भरी है. इजरायल ने अपने F-35As को सीरिया और ईरान से जुड़े लक्ष्यों पर सटीक हमलों के लिए तैनात किया है, जबकि अमेरिका प्रशांत, यूरोप और मध्य पूर्व में F-35s की नियमित उपस्थिति बनाए रखता है.