10 सालों से ट्यूब के जरिए सांस लेता था, डॉक्टरों ने जटिल सर्जरी कर लौटाई 10 साल के बच्चे की आवाज

दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल (Sir Ganga Ram Hospital)में डॉक्टरों ने एक बच्चे की जटिल सर्जरी करके 10 साल से खोई हुई आवाज लौटाई है. इसके बाद से बच्चे के परिवार वाले डॉक्टरों (Doctors) को बधाई देते नहीं थक रहे हैं.

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दिल्ली के गंगाराम अस्तपताल में हुआ बच्चे का ऑपरेशन.
नई दिल्ली:

धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों (Doctors) ने एक बार फिर चमत्कार करके दिखा दिया है. दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल (Sir Ganga Ram Hospital) में डॉक्टरों ने 13 वर्षीय बच्चे की जटिल सर्जरी (Surgery) करके उसकी आवाज लौटा दी है. इसके बाद से बच्चे के परिवार में खुशी का माहौल है. वहीं परिजन डॉक्टरों का शुक्रिया अदा कर रहे हैं. ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब से 10 साल से अधिक समय तक सांस लेने वाले 13 वर्षीय लड़के की सर गंगा राम अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम ने जटिल सर्जरी की. आखिरकार डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई और बच्चे की खोई हुई आवाज वापस लौट आई.

परिजनों ने बताया कि श्रीकांत को बचपन में सिर में चोट लग गई थी और उन्हें लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रखना पड़ा था. वहीं लंबे समय तक वेंटिलेशन ने रहने के कारण श्रीकांत की श्वासनली जाम हो गई.जिसके बाद डॉक्टरों ने ट्रेकियोस्टोमी विधि के द्वारा बच्चे के गर्दन में एक छेद बनाकर श्वासनली में एक ट्यूब डाली. इसके द्वारा सात साल से बच्चा सांस ले रहा था. सर गंगा राम अस्पताल (एसजीआरएच) के डॉक्टरों ने कहा कि लड़के ने पिछले सात सालों से न तो सामान्य रूप से बात की थी और न ही खाया था.

15 वर्षों के करियर में ऐसी सर्जरी पहली बार की

ई एंड टी डिपार्टमेंट के वरिश्ठ सलाहकार डॉक्टर मनीष मुंजाल ने कहा, “ जब मैंने पहली बार रोगी को देखा, तो मुझे लगा कि यह एक बहुत ही जटिल वायुमार्ग और वॉयस बॉक्स सर्जरी होने जा रही है. मैंने अपने 15 वर्षों के करियर में ऐसा नहीं देखा था. बच्चे को 100% स्टेनोसिस (ब्लॉकेज) था.  

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चार विभाग के डॉक्टरों की टीम बनाकर की सर्जरी

इसके बाद इस जटिल प्रक्रिया को करने के लिए थोरैसिक सर्जरी, ईएनटी, पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर और एनेस्थीसिया विभागों के डॉक्टरों का एक पैनल बनाया गया. जिसकी मदद से बच्चे की सफल सर्जरी की गई. थोरैसिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सब्यसाची बल ने कहा, " यह एक जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी है और इसमें विफलता का उच्च जोखिम होता है जो कभी-कभी होता है. मौत भी हो सकती है, लेकिन बच्चे के पास और कोई विकल्प नहीं था और यही बात परिवार को भी बता दी गई." इसके पहले 23 अप्रैल को लड़के को ऑपरेशन थियेटर के अंदर लाया गया था और डॉक्टरों की टीम ने मिलकर साढ़े छह घंटे तक परीक्षण किया था.

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बाल रोग विभाग के निदेशक डॉ. अनिल सचदेव ने बताया कि श्रीकांत को छाती की दीवार में वायुमार्ग के रिसाव का बहुत अधिक जोखिम था, जो घातक हो सकता था. इसलिए, उन्हें तीन दिनों तक गर्दन के बल रखा गया था. डॉक्टर ने कहा, "इसके अलावा, उसे कम दबाव वाले ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था ताकि उसे कोई दर्दनाक हवा का रिसाव न हो. अब श्रीकांत को छुट्टी दे दी गई है और उनकी हालत स्थिर बनी हुई है.

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