मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान मारे गए 64 लोगों के शव बृहस्पतिवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उनके परिजनों को सौंप दिए गए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. हिंसा की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति की एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा में 175 लोगों की मौत हुई है जिनमें से 169 शवों की पहचान कर ली गई.
अधिकारियों ने बताया कि ये शव अस्पतालों के मुर्दाघर में रखे हुए थे. मई में मणिपुर में शुरू हुई हिंसा के दौरान मारे गए इन लोगों में से 60 लोग कुकी समुदाय से थे. उन्होंने कहा कि चार अन्य शव मेइती समुदाय के लोगों के थे.
मणिपुर में इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मेइती और पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले कुकी समुदायों के बीच मई में जातीय हिंसा भड़क गई थी.
‘कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी' नामक संगठन ने एक बयान में कहा, ‘‘हिंसा में मारे गए कुकी लोगों'' का अंतिम संस्कार शुक्रवार को फैजांग के शहीद कब्रिस्तान में किया जाएगा.
संगठन ने अंत्येष्टि क्रिया के लिए शुक्रवार को सुबह पांच बजे से शाम पांच बजे तक सदर हिल्स कांगपोकपी के भीतर 12 घंटे के पूर्ण बंद का आह्वान किया और आम जनता से सहयोग करने की अपील की.
उच्चतम न्यायालय ने हिंसाग्रस्त मणिपुर में राहत उपायों, मुआवजे और पुनर्वास के काम पर गौर करने के लिए अगस्त में उच्च न्यायालय के तीन पूर्व न्यायाधीशों - न्यायमूर्ति गीता मित्तल, न्यायमूर्ति शालिनी जोशी और आशा मेनन की एक समिति गठित की थी.
उच्चतम न्यायालय ने समिति की रिपोर्ट पर मणिपुर में मुर्दाघरों में रखे शवों को दफनाने या दाह-संस्कार सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, जातीय हिंसा के दौरान 175 लोगों की मौत हुई है जिनमें से 169 शवों की पहचान कर ली गई. उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि पहचाने गए 169 शवों में से केवल 81 पर परिजनों ने दावा किया था.