Exclusive: सब खत्म हो गया, मेरा बेटा होनहार अफसर था, BMW हादसे के शिकार नवजोत के पिता ने बताया अपना दर्द

मृतक नवजोत के पिता की आंखों में आज सिर्फ आंसू हैं एनडीटीवी के साथ बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने अपना बेशकीमती बेटा खो दिया, सब खत्म हो गया.

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  • दिल्ली के धौला कुआं के पास हुए तेज़ रफ्तार BMW हादसे में वित्त मंत्रालय में कार्यरत नवजोत सिंह की मौत हो गई
  • नवजोत सिंह संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम से जुड़े थे और उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में काम किया था
  • हादसे के बाद नवजोत सिंह को पास के अस्पताल के बजाय 20 किलोमीटर दूर न्यू लाइफ अस्पताल ले जाया गया था
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नई दिल्ली:

दिल्ली के धौला कुआं के पास हुए बीएमडब्लू हादसे ने एक परिवार की खुशियों को हमेशा के लिए छीन लिया. रिटायर्ड फ्लाइंग ऑफिसर बलवंत सिंह का बेटा, वित्त मंत्रालय में उप सचिव के पद पर कार्यरत नवजोत सिंह, अब इस दुनिया में नहीं है.  रविवार को जब तेज़ रफ्तार BMW कार ने उनकी बाइक को टक्कर मारी, तो सब कुछ बदल गया. नवजोत न सिर्फ परिवार का सहारा थे, बल्कि देश का होनहार अफसर भी. उनकी उपलब्धियों की लंबी सूची है.  पिता की आंखों में आज सिर्फ आंसू हैं एनडीटीवी के साथ बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने अपना बेशकीमती बेटा खो दिया, सब खत्म हो गया. वहीं बेटे नवनूर की आवाज़ आज भी कांप रही है. वो कह रहा है कि अगर पापा को नज़दीकी अस्पताल ले जाते तो शायद उनकी जान बच जाती.  

हादसे ने छीन लिया होनहार अफसर 

नवजोत सिंह न सिर्फ एक होनहार छात्र रहे, बल्कि सेवा में आने के बाद भी उनका काम मिसाल बनता रहा. धौला कुआं स्थित एयरफोर्स में पढ़ाई के बाद वे आगे बढ़े और मंत्रालय में अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं से जुड़े.  वे मंत्रालय में UNDP (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) का काम देख रहे थे. जापान सहित कई देशों की यात्राएं कर चुके थे और हाल ही में वर्ल्ड बैंक के चीफ अजय बंगा से भी मिले थे. पिता बलवंत सिंह ने रोते हुए कहा कि मेरा बेटा शुरू से टॉपर था, छह महीने बाद उसका प्रमोशन होना था. वो बहुत सलीके से बाइक चलाता था, फिर भी मैंने उसे खो दिया. 

मेरे पापा को नहीं मिला सही ईलाज: बेटे ने उठाए गंभीर सवाल

हादसा रविवार दोपहर 1 से 1:30 बजे हुआ, जब नवजोत और उनकी पत्नी गुरुद्वारा बंगला साहिब से लौट रहे थे. उसी दौरान BMW कार ने बाइक को टक्कर मार दी. कार में गगनप्रीत नाम की युवती ड्राइविंग सीट पर थी और उसका पति बगल में बैठा था.  नवजोत के बेटे नवनूर ने बताया कि मैं दोस्त के घर से लौटा था, घर पहुंचते ही मैंने मम्मी-पापा को कॉल किया लेकिन उठाया नहीं. कुछ देर बाद एक परिचित का फोन आया कि उनका एक्सीडेंट हो गया है. मुझे समझ नहीं आता कि उन्हें पास के किसी बड़े अस्पताल की बजाय 20 किलोमीटर दूर GTB नगर स्थित न्यू लाइफ अस्पताल क्यों ले जाया गया. 

अस्पताल को लेकर भी उठ रहे हैं सवाल

परिवार का आरोप है कि हादसे के बाद घायलों को ऐंबुलेंस की बजाय एक डिलीवरी वैन में अस्पताल पहुंचाया गया. मां ने होश आने पर देखा कि वे वैन की सीट पर बैठी थीं और पीछे पति बेसुध हालत में पड़े थे. अस्पताल पहुंचने पर पिता को मृत घोषित कर दिया गया. नवनूर का कहना है कि वो अस्पताल एक नर्सिंग होम जैसा था.  वहां न तो पर्याप्त सुविधाएं थीं और न ही इमरजेंसी की व्यवस्था.  मम्मी को भी लॉबी की स्ट्रेचर पर पट्टियां बांधी जा रही थीं. क्यों उन्हें एम्स या किसी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल नहीं ले जाया गया? शायद पापा आज जिंदा होते. 

"मुझे यकीन नहीं होता कि मेरा बेटा अब नहीं रहा"

नवजोत के पिता रिटायर्ड फ्लाइंग ऑफिसर बलवंत सिंह कहते हैं कि उसको कभी-कभी बाइक चलाने का शौक था. हाल ही में उसने 3 लाख 20 हजार की ट्रंफ बाइक खरीदी थी, पहले रॉयल एनफील्ड चलाता था. लेकिन उसने हमेशा सलीके से गाड़ी चलाई. मुझे यकीन नहीं होता कि मेरा बेटा अब नहीं रहा. सब खत्म हो गया. 

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