नरेंद्र मोदी सरकार के तीनों कृषि कानून वापस लेने के ऐलान के बाद उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि यह अहंकारी की हार है और प्रजातंत्र व किसानों की जीत. उन्होंने कहा, "हम उन लोगों को धन्यवाद कहना चाहते हैं जिन्होंने इस आंदोलन को सफल बनाया और सरकार को काले कानून वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया. यह अहंकारी की हार है. जनता इन्हें माफ नहीं करेगी, बल्कि इन्हें साफ करने का काम करेगी." गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह 9 बजे देश को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की. इन कानूनों के विरोध में काफी समय से देशभर में किसान आंदोलन कर रहे हैं.
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अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "इन लोगों को लगता है कि इनकी यह झूठी माफी इन्हें फिर से सत्ता में ले आएगी, लेकिन जनता सब जानती है. यह कानून केवल वोटों के लिए वापस लिए गए हैं. कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है किसानों के लिए इन शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है. सरकार के इस्तीफा दे देना चाहिए, लखीमपुर के कातिलों को सजा कैसे होगी? मंत्री तो अभी भी कैबिनेट में बरकरार हैं. पूर्वांचल में सपा को जो समर्थन मिला है, उससे लखनऊ और दिल्ली दोनों हिल गए हैं. बीजेपी के लिए किसान प्राथमिकता नहीं हैं, बल्कि वोट हैं, लेकिन किसान इनको चुनाव में साफ कर देगा. यह धोखा है, बीजेपी के लोग कल को फिर बदल जाएंगे."
इससे पहले अखिलेश यादव ने ट्वीट कर केंद्र सरकार के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज की. उन्होंने लिखा, "अमीरों की भाजपा ने भूमिअधिग्रहण व काले क़ानूनों से ग़रीबों-किसानों को ठगना चाहा. कील लगाई, बाल खींचते कार्टून बनाए, जीप चढ़ाई लेकिन सपा की पूर्वांचल की विजय यात्रा के जन समर्थन से डरकर काले-क़ानून वापस ले ही लिए. भाजपा बताए सैंकड़ों किसानों की मौत के दोषियों को सज़ा कब मिलेगी."
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