"कई बार भार ऐसे लोगों पर आ जाता है, जो उसे उठाने के लायक नहीं होते": जोशीमठ के सवाल पर BJP नेता

रावत ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘लोकतंत्र में सभी लोगों पर जिम्मेदारी होती है, उसमें कोई बहुत बुद्धिमान होता है, कोई कम बुद्धिमान होता है और कोई और कम बुद्धिमान होता है.

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त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हैं.

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि लोकतंत्र में कई बार ऐसे लोगों पर भार आ जाता है जो उसे उठाने के लायक नहीं होते. सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे एक वीडियो में रावत ने जोशीमठ भूधंसाव पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि लोकतंत्र में सभी लोगों पर जिम्मेदारी होती है लेकिन कुछ लोग इस जिम्मेदारी को उठाने में सक्षम नहीं होते और समस्याएं पैदा हो जाती हैं. रावत ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘लोकतंत्र में सभी लोगों पर जिम्मेदारी होती है, उसमें कोई बहुत बुद्धिमान होता है, कोई कम बुद्धिमान होता है और कोई और कम बुद्धिमान होता है. लोकतंत्र की यही विडंबना भी है, खूबसूरती भी है कि जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है. इसलिए कई बार जो भार है, ऐसे लोगों पर आ जाता है जो भार को उठाने के ​लायक नहीं होते हैं. तब इस तरह की समस्या उत्पन्न होती है.''

त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्रित्व काल में जिला विकास प्राधिकरण गठित किए गए थे. हांलांकि, इस निर्णय पर उनका विरोध हुआ. उनके बाद मुख्यमंत्री पद संभालने वाले तीरथ सिंह रावत सरकार के कार्यकाल में इन प्राधिकरणों को स्थगित कर दिया गया.

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उन्होंने कहा कि राज्य के भूकंपीय दृष्टि से बहुत अस्थिर होने के कारण विकास और निर्माण योजनाओं को नियोजित तरीके से संचालित करने के लिए ही विकास प्राधिकरण बनाए गए थे. रावत ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि जो प्राधिकरण गठित किए गए थे, उनके पीछे यही सोच थी कि उत्तराखंड भूकंपीय दृष्टि से बहुत ज्यादा 'अस्थिर' है.''

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उन्होंने कहा कि यहां व्यवस्थित और नियोजित तरीके से निर्माण तथा विकास की योजनाएं संचालित हो सकें, इस दृष्टि से विकास प्राधिकरण बनाए गए थे. उन्होंने प्राधिकरणों के गठन के निर्णय को ​स्थगित किए जाने पर दुख जताते हुए कहा, ‘‘तकलीफ तो होती है, कष्ट होता है.''

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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