आम चुनाव के साथ ही इन दो राज्यों पर है बीजेपी के चाणक्य की नजर, तैयार की जा रही है रणनीति

तीनों राज्यों में 'मोदी की गारंटी' पर चुनाव लड़ा गया और नतीजा ये निकला की तीनों राज्यों में बंपर जीत हासिल हुई. यही नहीं सीएम बनाने की रणनीति से भी विपक्षियों को अब चारों खाने चित्त कर दिया है.

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बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव किया है, जो काफी प्रभावशाली रहा है.
नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने हाल ही में तीन राज्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बंपर जीत हासिल की है. हालांकि, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत की उम्मीद कम दिख रही थी लेकिन इसके उलट नतीजों ने सबको चौंका दिया. हालांकि, जीत के कई कारक हैं लेकिन बीजेपी ने अपने चुनाव लड़ने की रणनीति में जो बदलाव किया है, वह काफी प्रभावशाली रहा. ये मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव में साबित हो गया है. बीजेपी ने पीएम मोदी (PM Modi) के चेहरे की रणनीति को अपनाया और पार्टी ने तीनों राज्यों में सीएम की घोषणा नहीं की. तीनों राज्यों में 'मोदी की गारंटी' पर चुनाव लड़ा गया और नतीजा ये निकला की तीनों राज्यों में बंपर जीत हासिल हुई. यही नहीं सीएम बनाने की रणनीति से भी विपक्षियों को अब चारों खाने चित्त कर दिया है. बीजेपी ने जिस तरह से सामान्य चेहरे को राज्य की कमान सौंपी है वह एक बड़ा मैसेज है जो आगामी लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिए ब्रह्मास्त्र साबित होगा.

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लोकसभा चुनाव 2024 को जीतने के लिए बीजेपी ने काफी समय पहले से ही काम करना शुरू कर दिया था. जिसके रणनीतिकार बीजेपी के चाणक्य अमित शाह है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जीत के सूत्रधार अमित शाह की रणनीति ही है जिन्होंने 'मोदी की गारंटी' का एक्सपेरिमेंट हिंदी क्षेत्र के तीन राज्यों में किया और नतीजा भी साकारत्मक दिखा. अब चाणक्य की नजर उन दो राज्यों पर है जिसे जीतने की चुनौती सबसे अधिक है. ये राज्य हैं बिहार और दिल्ली.

अमित शाह के निशाने पर बिहार उस वक्त आ गया था जब नीतिश कुमार ने खुद को बीजेपी से अलग कर लिया था. यही वजह है कि अमित शाह ने 'मोदी की गारंटी' की घोषणा बिहार में पहले ही कर दी थी. अब उसे अमलीजामा भी पहना दिया है. बिहार में 'मोदी की गारंटी' और 'मोदी है तो मुमकिन है' के नारों के साथ विजय अभियान शुरू किया जा रहा है. इसके लिए जोर शोर से तैयारियां की जा रही है और 'मोदी की गारंटी रथ' को तैयार किया जा रहा है जो हर जिले तक पहुंचेगा.

रणनीति के तहत रहा है अमित शाह का बिहार दौरा

अमित शाह का चुनावी दौरा इसी साल फरवरी में शुरू हुआ था जब वह पश्चिम चंपारण पहुंचे थे. वहीं, इसके बाद उन्होंने अप्रैल में नवादा का दौरा किया था. दरअसल, साल 2019 में नवादा सीट एलजेपी को दे दिया गया था. लेकिन माना जा रहा है कि इस बार बीजेपी इस पर चुनाव लड़ेगी. इस सीट पर गिरिराज सिंह पहले भी जीत हासिल कर चुके हैं. इसके बाद जून में अमित शाह ने लखीसराय का दौरा किया. ये मुंगेर लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है जहां सांसद जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह हैं. वहीं, सितंबर में शाह ने झंझारपुर का दौरा किया. ये सीट पहले बीजेपी की थी लेकिन 2019 में जेडीयू के पास चली गई. जबकि नवंबर में मुजफ्फरपुर का दौरा किया आधा दर्जन लोकसभा सीट को साधने के लिए सभी जगह से नेताओं और कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया.

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अमित शाह का निर्देश

अमित शाह जानते हैं लोकसभा चुनाव में जीत ही विधानसभा चुनाव की जीत को भी तय करेगी. इसलिए उन्होंने सभी को निर्देश दिया है कि लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी एक साथ किया जाएगा. विकसित भारत संकल्प यात्रा पर विधायकों और सांसदों को पूरा जोर देने को कहा गया है. जबकि 'मोदी की गारंटी' पर पूरा कार्यक्रम तैयार कर संगठन के हर पदाधिकारियों को जिम्मेदार बनाने का निर्देश दिया है.

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अमित शाह के निशाने पर दिल्ली

वैसे तो दिल्ली में 2019 के चुनाव में सभी सातों सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. लेकिन माना जा रहा है कि इस बार बीजेपी का टकराव सीधे-सीधे आम आदमी पार्टी से रहेगी. क्योंकि आम आदमी पार्टी पहले से ज्यादा मजबूत हुई है. जबकि 2019 के लोकसभा में बंपर जीत हासिल करने वाली बीजेपी विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था. या 70 विधानसभा सीटों पर केवल 8 पर बीजेपी को जीत हासिल हुई जबकि 62 सीट पर आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की. ऐसे में दिल्ली की लोकसभा सीट और विधानसभा सीट दोनों अमित शाह के निशाने पर है.

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