भाजपा के लिए राजनीतिक लिहाज से लोकसभा चुनाव का दूसरा चरण काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. दूसरे चरण के तहत लोकसभा की जिन 88 सीटों पर शुक्रवार को मतदान होने जा रहा है, उसमें से सबसे ज्यादा 52 सीटें भाजपा के पास हैं. लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी का दामन थामने वाले दो निर्दलीय सांसदों को मिला लिया जाए तो यह आंकड़ा 54 पर पहुंच जाता है.
एनडीए गठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ रहे दलों की बात करें तो इनमें से 4 सीटों पर जेडीयू, 3 पर शिवसेना (शिंदे गुट) और 1-1 सीट पर जेडीएस और एनपीएफ को पिछली बार जीत मिली थी, यानी 88 में से 63 सीटों पर एनडीए गठबंधन का कब्जा है और इसे बरकरार रखना निश्चित तौर पर पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है.
भाजपा के कार्यकर्ता रणनीति के तहत दोपहर से पहले ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को बूथ तक लेकर जाने की कोशिश करेंगे, जिससे गर्मी की मार से बेहाल मतदाता दोपहर से पहले ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें. जो मतदाता सुबह पोलिंग बूथ तक नहीं पहुंच पाएंगे, उसे बीजेपी के बूथ स्तर के कार्यकर्ता और स्थानीय नेता शाम के समय पोलिंग बूथ तक ले जाएंगे. पार्टी की कोशिश खासतौर से महिला और युवा मतदाताओं पर रहेगी.
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत शुक्रवार को केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर चुनाव होना है. कर्नाटक की 14, राजस्थान की 13, उत्तर प्रदेश की 8, महाराष्ट्र की 8, मध्य प्रदेश की 6, असम की 5, बिहार की 5, छत्तीसगढ़ की 3, पश्चिम बंगाल की 3 और त्रिपुरा, मणिपुर के साथ जम्मू कश्मीर की 1-1 सीट सहित 88 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है.
पिछले चुनाव में केरल में एक भी सीट नहीं जीत पाने वाली भाजपा इस बार केरल पर काफी ध्यान दे रही है. पार्टी का दावा है कि इस बार केरल में चौंकाने वाले नतीजे सामने आ सकते हैं.
भाजपा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक जैसे राज्यों में पिछले प्रदर्शन को दोहराने का प्रयास कर रही है. पार्टी की कोशिश है कि इन सीटों में से पिछले चुनाव में कांग्रेस को असम, बिहार और कर्नाटक में मिली एक-एक सीट को भी इस बार छिना जाए और उत्तर प्रदेश में बसपा को मिली एक सीट अमरोहा पर भी जीत का परचम लहराया जाए.