Assam Assembly Election 2021 Date : असम (Assam) विधानसभा की चुनाव की तारीखों का ऐलान होने ही वाला है.असम विधानसभा चुनाव 2021 में बीजेपी और कांग्रेस-एआईयूडीएफ वाले गठबंधन के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है. देखना होगा कि क्या BJP पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य में अपनी पकड़ और मजबूत कर पाती है या नहीं. या फिर पिछले चुनाव में हार से सबक लेते हुए गठबंधन करने वाली कांग्रेस (Congress) वापसी करने में कामयाब होगी.
असम (Assam) विधानसभा के लिए 2016 में दो चरणों में चुनाव 4 और 11 अप्रैल को हुआ था. 126 विधानसभा सीटों वाले असम में 2016 में रिकॉर्ड 85 फीसदी मतदान हुआ था, जो 2011 के चुनाव में महज 75 फीसदी था. बीजेपी गठबंधन ने 86 सीटें हासिल कर असम में 2001 से चल रही तरुण गोगोई सरकार (Tarun Gogoi) को हटाते हुए पहली बार राज्य में सरकार ने बनाई. जबकि कांग्रेस 26 और बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ को महज 13 सीटें मिलीं. कांग्रेस और एआईयूडीएफ को अलग-अलग चुनाव लड़ने का खामियाजा भुगतना पड़ा. BJP को 41.9 फीसदी और कांग्रेस को 31 फीसदी वोट मिले थे. असम में सर्वानंद सोनोवाल के रूप में पहली बार बीजेपी के मुख्यमंत्री ने शपथ ली.
असम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) चुनावी तारीखों के ऐलान के पहले ही 3-3 दौरे राज्य का कर चुके हैं. असम में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi Assam Visit) खुद असम में बड़ी रैली कर ऐलान कर चुके हैं कि वे सीएए असम में लागू नहीं होने देंगे. असम में बांग्ला भाषी हिन्दुओं को सीएए के जरिये नागरिकता देकर और मुस्लिमों को अलग रखने का तर्क असमिया भाषी लोगों को नहीं सुहा रहा है. हालांकि विकास के मोर्चे पर बीजेपी विपक्षी गठबंधन पर बढ़त बनाती दिख रही है. उसे एजीपी और कुछ बोडो संगठनों का भी साथ मिल सकता है.
वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने मिलकर चुनाव लड़ा और 96 सीटें जीतें हासिल कीं. इसमें कांग्रेस को 78 और एआईयूडीएफ को 18 सीटें मिली थीं. 2011 की जनगणना के अनुसार असम में 61.5 फीसदी हिन्दू और 34.22 फीसदी मुस्लिम आबादी है.
हालांकि कांग्रेस ने चुनाव के पहले अपने करिश्माई नेता तरुण गोगोई को खो दिया है. उनके सांसद पुत्र गौरव गोगोई की अगुवाई में कांग्रेस ने असम बचाओ यात्रा शुरू की है. बेरोजगारी भी यहां युवाओं में बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है. वहीं बीजेपी डबल इंजन की सरकार के दौरान असम में हुए विकास कार्यों को मुद्दा बना रही है. सीएए-एनआरसी के साथ घुसपैठ का मुद्दा पहले से ही उसके एजेंडे में है.