झूठे आरोप... ममता बनर्जी पर BJP हमलावर, चुनाव आयोग ने बंगाल CM को दिया था जवाब

निर्वाचन आयोग ने रविवार को कहा कि एक जैसे नंबर का मतलब यह नहीं कि वे फर्जी मतदाता हैं. निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा कि कुछ मतदाताओं के मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबर ‘‘समान हो सकते हैं’’ लेकिन जनसांख्यिकीय विवरण, विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्र सहित अन्य विवरण अलग-अलग हैं.

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ममता बनर्जी साल 2026 में हार को देखते हुए झूठे आरोप लगा रही हैं: बीजेपी

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में 'फेक वोटर' को लेकर सियासत तेज हो गई है. बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप निराधार बताया है. बीजेपी ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोप झूठे हैं. मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप भी झूठे है. ममता बनर्जी साल 2026 में हार को देखते हुए झूठे आरोप लगा रही हैं. वहीं भारतीय चुनाव आयोग ने भी आज स्पष्ट किया है कि ईपीआईसी (EPIC) नंबर में डुप्लीकेशन का मतलब "डुप्लीकेट/फर्जी मतदाता नहीं है."

निर्वाचन आयोग ने क्या कहा?

निर्वाचन आयोग ने रविवार को कहा कि एक जैसे नंबर का मतलब यह नहीं कि वे फर्जी मतदाता हैं. निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा कि कुछ मतदाताओं के मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबर ‘‘समान हो सकते हैं'' लेकिन जनसांख्यिकीय विवरण, विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्र सहित अन्य विवरण अलग-अलग हैं.

‘‘ईपीआईसी नंबर चाहे जो भी हो, कोई भी मतदाता अपने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में अपने निर्धारित मतदान केंद्र पर ही वोट डाल सकता है, जहां वह मतदाता सूची में पंजीकृत है. इसके अलावा वह कहीं और मतदान नहीं कर सकता.' निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि सभी राज्यों के मतदाता सूची डेटाबेस को ‘ईआरओएनईटी' मंच पर डालने से पहले ‘‘विकेन्द्रीकृत और मैन्युअल प्रक्रिया'' का पालन किए जाने के कारण विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कुछ मतदाताओं को समान ईपीआईसी संख्या आवंटित की गई थी. निर्वाचन आयोग ने बताया कि इसके परिणामस्वरूप कुछ राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी एक ही ईपीआईसी अक्षरांकीय श्रृंखला का उपयोग कर रहे हैं और विभिन्न राज्यों में विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं को एक जैसे ईपीआईसी नंबर आवंटित किए जाने की गुंजाइश है.

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निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार, ‘ईआरओएनईटी' ‘‘एक जैसी प्रविष्टियों को हटाकर और एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित होने वाले मतदाताओं को शामिल करके'' चुनावी प्रणाली को बनाए रखने में निर्वाचन अधिकारियों को मदद करता है. इसने कहा, ‘‘किसी भी शंका को दूर करने के लिए, आयोग ने निर्णय लिया है कि पंजीकृत मतदाताओं को विशिष्ट ईपीआईसी नंबर आवंटित करना सुनिश्चित किया जाए. एक जैसे ईपीआईसी नंबर के किसी भी मामले को एक विशिष्ट ईपीआईसी नंबर आवंटित करके ठीक किया जाएगा.'' निर्वाचन आयोग ने कहा कि इस प्रक्रिया में सहायता और सहयोग के लिए ‘ईआरओएनईटी' 2.0 मंच को अपडेट किया जाएगा.

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बीजेपी ने किया पलटवार

चुनाव आयोग के इस बयान के तुरंत बाद, वरिष्ठ भाजपा नेता और पार्टी के बंगाल सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि बनर्जी का "एक और झूठ" धराशायी हो गया है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "यह दुख की बात है कि बंगाल की मुख्यमंत्री 2026 में अपनी हार की नींव रखने और चुनावी प्रणाली में मतदाताओं का विश्वास कमज़ोर करने के लिए गलत सूचना का सहारा ले रही हैं."

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मालवीय ने चुनाव आयोग से बंगाल में मतदाता सूची की सफाई को प्राथमिकता देने और अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों को हटाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग को भाषाई अल्पसंख्यकों और हिंदू शरणार्थियों-जिनमें मतुआ समुदाय (Matua community) भी शामिल है, जो धार्मिक उत्पीड़न से भागकर बंगाल में बस गए हैं- के नाम मतदाता सूची से हटाने के टीएमसी के प्रयासों को भी विफल करना चाहिए."

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