भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को डोगरा और कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों से अपील की कि वे घाटी छोड़कर न जाएं और कहा कि सरकार “पाकिस्तानी साजिश” को नाकाम करने के लिए प्रतिबद्ध है. कश्मीर में लक्षित हत्याओं के मद्देनजर कश्मीरी पंडित और डोगरा समुदाय के कर्मचारी घाटी से बाहर स्थानांतरित करने की मांग कर रहे हैं.
जम्मू कश्मीर को देश का ताज करार देते हुए जम्मू कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा, “हमें पाकिस्तान के उन नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए साथ खड़े रहना होगा जिसके तहत घाटी से अल्पसंख्यकों और राष्ट्रवादी मुस्लिमों को बलपूर्वक निकालने के लिए प्रायोजित आतंकवादियों के जरिये लक्षित हत्याओं की साजिश रची जा रही है .”
रैना ने यहां पार्टी मुख्यालय में कश्मीरी पंडितों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “हम पिछले 32 वर्षों से पाकिस्तान प्रायोजित छद्म युद्ध लड़ रहे हैं और हमारी पुलिस, सेना तथा अर्धसैनिक बल हजारों आतंकवादियों को समाप्त कर पड़ोसी मुल्क को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “हम पंडितों, डोगरा और देश के अन्य भागों से आए सभी राष्ट्रवादियों से अपील करते हैं कि वे रुक जाएं क्योंकि हमें दुश्मनों की साजिश को नाकाम करने के लिए हाथ मिलाना है.” रैना ने कहा कि सरकार ने उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाने और उचित सुरक्षा प्रदान करने की घोषणा कर दी है.
क्या केंद्र शांतिपूर्ण प्रदर्शन का सामना करने में सक्षम नहीं : महबूबा
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने रविवार को सवाल किया कि क्या केंद्र इतना कमजोर है कि वह कश्मीर में मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन का सामना नहीं कर सकता है. मुफ्ती की टिप्पणी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कश्मीर में हत्याओं को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र के खिलाफ एक रैली को संबोधित करने के बीच आई है.
मुफ्ती ने कहा कि यह विडंबना है कि घाटी के राजनीतिक दलों को अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों की हत्याओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं है, जबकि अन्य राज्यों में दलों को इसकी अनुमति है.
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘विडंबना यह है कि कश्मीर में मुख्यधारा के दलों को अल्पसंख्यकों की हत्याओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई. क्या इसे जम्मू कश्मीर में सामान्य स्थिति के बिगड़ने को लेकर भारत सरकार की घबराहट के रूप में देख सकते हैं? या वे शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का सामना करने में सक्षम नहीं हैं?''
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