बिहार (Bihar) में लंबे समय से (कुछ अवधि को छेड़कर) जेडीयू और बीजेपी (JDU and BJP) की गठबंधन सरकार है. बीजेपी इसे डबल इंजन की सरकार के तौर पर प्रचारित करती रही है लेकिन हाल के दिनों में शायद ही कोई दिन ऐसा रहा हो जब बिहार में एनडीए सरकार के दो प्रमुख घटक दलों- जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी के नेता किसी ना किसी मुद्दे पर एक दूसरे से ज़ुबानी जंग में न उलझे हों. ताज़ा घटनाक्रम में विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह और बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल आमने-सामने हैं.
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने यह कह कर विशेष राज्य के दर्जे की मांग को ख़ारिज कर दिया कि इसका कोई प्रावधान नहीं हैं. जायसवाल ने कहा कि कई राज्य ऐसी मांग कर रहे हैं लेकिन अब ऐसा प्रावधान नहीं रहा. विशेष आर्थिक सहायता देने का फैसला अब राष्ट्रीय विकास परिषद करती है. जायसवाल ने कहा कि जिन-जिन राज्यों के मुख्यमंत्री ऐसे पैकेज की मांग कर रहे हैं, वे सभी प्रधानमंत्री से मिलें.
बिहार में बीजेपी और जेडीयू एक दूसरे को नसीहत क्यों दे रहे हैं?
जायसवाल ने कहा कि अगर राज्य के मुख्यमंत्री डेलीगेशन लेकर प्रधानमंत्री से मिलेंगे तो वह भी उसमें शामिल होना चाहेंगे. वैसे जायसवाल ने कहा कि अगर बिहार को विशेष पैकेज मिलता है तो यह राज्य के लिए बेहतर रहेगा.
उधर, संजय जायसवाल के इस बयान पर जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने कहा कि यह माँग प्रधान मंत्री से की जा रही है. उन्होंने ट्वीट किया है, "बिहार में संसाधन का अभाव है फिर भी आदरणीय मुख्यमंत्री श्री @NitishKumar जी की कार्यकुशलता के बदौलत #बिहार का विकास दर कई वर्षों से दो अंकों में बना हुआ है. #विशेष_राज्य का दर्जा बिहार और ट्रांसफॉर्म इंडिया के हित में है. #देश_के_प्रधान_बिहार_पर_दें_ध्यान"
ललन सिंह ने कहा कि विशेष राज्य की मांग बिहार के हित में है. अगर ये मांग हम नहीं करेंगे तो राज्य की जनता के साथ बेईमानी होगी. उन्होंने कहा कि NITI Aayog की रिपोर्ट भी स्पष्ट करती है कि बिहार कई पायदानों पर पिछड़ा है. ऐसे में जबतक बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा तबतक ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया के उद्देश्यों को कैसे पूरा किया जा सकता है, क्यूंकि पिछड़े राज्यों के विकास के बिना इंडिया को ट्रांसफॉर्म नहीं किया जा सकता.