बिहार : गया, मुजफ्फरपुर में वायु प्रदूषण के स्रोतों का पता लगाने के लिए जल्द ही शुरू होगा अध्ययन

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया है, जिसने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए रणनीतियां प्रस्तावित की हैं.

Advertisement
Read Time: 16 mins
पटना:

बिहार सरकार ने मुजफ्फरपुर और गया शहरों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और वास्तविक समय पर वायु प्रदूषण के स्रोतों का पता लगाने के लिए ‘‘वास्तविक समय स्रोत विभाजन अध्ययन '' कराने का निर्णय लिया है. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएससीपीबी) के अध्यक्ष देवेंद्र कुमार शुक्ला ने पीटीआई-भाषा सोमवार को बताया “मुजफ्फरपुर और गया में यह अध्ययन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (दिल्ली और पटना) द्वारा किया जाएगा. बीएससीपीबी जल्द ही इस संबंध में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेगा. एमओयू को अंतिम रूप दिया जा रहा है.''

‘‘ वास्तविक समय स्रोत विभाजन अध्ययन ''(रीयल टाइम सोर्सेज अपोर्शनमेंट स्टडी..... आरटीएसए) किसी क्षेत्र में वायु प्रदूषण में वृद्धि के लिए जिम्मेदार कारकों जैसे वाहनों, धूल, बायोमास और उद्योगों से उत्सर्जन आदि की पहचान करने में मदद करता है और तदनुसार निवारक उपाय किए जा सकते हैं.

बिहार की राजधानी पटना में पर्यावरण और सतत विकास संस्थान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) पहले से ही इस तरह का अध्ययन कर रहा है जो कि सितंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है.

प्रदेश के मुजफ्फरपुर और गया शहर में भी अब यह अध्ययन कराए जाने का निर्णय लिया गया है क्योंकि पटना के साथ राज्य के ये दोनों शहर भी वायु प्रदूषण के रुझान के मामले में 122 संवेदनशील शहरों में शामिल हैं.

बीएससीपीबी अध्यक्ष ने कहा कि यह अध्ययन दोनों शहरों के विस्तारित शहरी क्षेत्रों की ‘‘परिवेशी वायु में कणिका तत्व (पार्टिकुलेट मैटर) पीएम 2.5 और पीएम10 के मौसमी वायु में कणों के सघनता स्तर'' की पहचान करेगा.

पीएम 2.5 और पीएम 10 हवा में मौजूद सूक्ष्म कण हैं और इनके संपर्क में आना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया है, जिसने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए रणनीतियां प्रस्तावित की हैं.

Advertisement

एनसीएपी ने 122 संवेदनशील शहरों की पहचान की जहां ‘राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों' (एनएएक्यूएस) का उल्लंघन होता है.

बीएससीपीबी अध्यक्ष ने कहा कि इस अध्ययन के माध्यम से मानव जीवन पर वायु प्रदूषकों के संपर्क से होने वाले विषाक्त प्रभावों का भी आकलन किया जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘‘उत्सर्जन स्रोत, कणों की वहन क्षमता और स्रोत विभाजन के अलावा, विशेषज्ञ नदी तल सामग्री (मिट्टी) के योगदान और सड़क की धूल के स्रोत पर भी आंकड़े एकत्र करेंगे.''

शुक्ला ने कहा कि बीएसपीसीबी राज्य में वायु प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए विभिन्न विभागों के साथ समन्वय कर रहा है.

Advertisement

उन्होंने कहा कि बिहार के कई शहरों में वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर गंभीर चिंता का विषय है. शुक्ला ने कहा, ‘‘परिवहन के दौरान निर्माण सामग्री को ढंकना, भवन निर्माण के लिए अनिवार्य ग्रीन शील्ड, ग्रीन बेल्ट का विकास, ई-वाहनों को बढ़ावा देना और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन का उपयोग, वाहन उत्सर्जन की कड़ी जांच और स्मॉग गन का उपयोग कुछ ऐसे कदम हैं जो हैं राज्य में संबंधित अधिकारियों द्वारा उठाए जा रहे हैं. ”

ये भी पढ़ें- PM मोदी मंगलवार को आंध्र प्रदेश में NACIN के नए परिसर का करेंगे उद्घाटन

ये भी पढ़ें- नाबालिग बलात्कार पीड़िता का 'टू फिंगर टेस्ट' करने के लिए कोर्ट ने डॉक्टरों को लगाई फटकार

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Latur News: Hostel में जहरीला खाना खाने से 50 छात्राएं बीमार, खाने में छिपकली के होने का आरोप
Topics mentioned in this article