यह ख़बर 07 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

बोधगया : महाबोधि मंदिर परिसर में सीरियल धमाके, मंदिर व मूर्ति सुरक्षित

खास बातें

  • बिहार में गया जिले के बोधगया स्थित 1,500 वर्ष पुराने महाबोधि मंदिर परिसर में रविवार सुबह नौ सिलेसिलेवार विस्फोट हुए, जिसमें दो बौद्ध भिक्षु घायल हो गए। विस्फोटों से हालांकि मंदिर और भगवान बुद्ध की प्रतिमा को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।
बोधगया/नई दिल्ली:

बिहार में गया जिले के बोधगया स्थित 1,500 वर्ष पुराने महाबोधि मंदिर परिसर में रविवार सुबह नौ सिलेसिलेवार विस्फोट हुए, जिसमें दो बौद्ध भिक्षु घायल हो गए। विस्फोटों से हालांकि मंदिर और भगवान बुद्ध की प्रतिमा को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। घटना के बाद बोधगया तथा राज्य के अन्य संवेदनशील स्थानों पर सतर्कता बढ़ा दी गई है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने इसे आतंकवादी हमला करार दिया है, वहीं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर इस तरह के हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे, जबकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हमले को 'मूर्खतापूर्ण हिंसा' करार दिया।

विस्फोटों के कारण आसपास के होटल थर्रा गए। महाबोधि मंदिर के नजदीक रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि विस्फोट के कारण आसपास के कई होटलों में कंपन महसूस किया गया। होटल में ठहरे हुए विदेशी तथा पर्यटक बाहर निकल आए। वे समझ नहीं पा रहे थे कि क्या हुआ।

विस्फोटों के बाद नई दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि महाबोधि मंदिर परिसर में नौ बम विस्फोट हुए। चार बम मंदिर परिसर में, तीन पास के ही एक मठ में, एक भगवान बुद्ध की प्रतिमा के नजदीक और एक अन्य बम पर्यटक बस के नजदीक फटा। दो जिंदा बम भी बरामद किए गए, जिन्हें निष्क्रिय कर दिया गया।

बिहार के पुलिस महानिदेशक अभयानंद ने कहा कि विस्फोट 'बहुत अधिक तीव्रता' के नहीं थे, इसलिए मंदिर के गर्भगृह को कोई नुकसान नहीं हुआ। उन्होंने कहा, "भिक्षुओं को प्रार्थना की अनुमति दी गई है, लेकिन आम लोगों को फिलहाल मंदिर परिसर में जाने की अनुमति नहीं है।"

केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने भी इसकी पुष्टि की कि मंदिर परिसर को कोई नुकसान नहीं हुआ है। नई दिल्ली में संवाददाताओं से उन्होंने कहा, "मंदिर तथा भगवान बुद्ध की प्रतिमा सुरक्षित है।"

बिहार पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक एसके भारद्वाज ने कहा, "महाबोधि मंदिर परिसर में हुए विस्फोटों में दो बौद्ध भिक्षु घायल हो गए, जिनमें से एक तिब्बत के और एक म्यांमार के हैं। घायल तिब्बती बौद्ध भिक्षु की पहचान 50 वर्षीय तेंजिंग दोरजी और म्यांमार के बौद्ध भिक्षु की पहचान 30 वर्षीय विलास गा के रूप में की गई है।"

विस्फोटों को लेकर राज्य में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया। विपक्ष ने जहां सरकार पर सुरक्षा को लेकर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया, वहीं सरकार ने आरोपों से इनकार किया।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, "राज्य सरकार को बताया गया था कि आतंकवादी तत्वों ने मंदिर परिसर की रेकी की है, फिर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए।"

वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन आरोपों का खंडन करते हुए बोधगया में घटनास्थल का दौरा करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा, "महाबोधि मंदिर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। मंदिर की सुरक्षा पर हम पहले से ही नजर बनाए हुए थे, लेकिन जिस तरह से हमलावर मंदिर परिसर में दाखिल हुए और उन्होंने बम भी जगह-जगह रखा, हमें देखना होगा कि वे किस परिधान में थे। हमें प्रवेश द्वार पर सुरक्षा की भी जांच करनी होगी।" उन्होंने यह भी कहा कि घटना की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) करेगी।

खुफिया एजेंसियों ने पिछले महीने ही जिला प्रशासन को मंदिर को सुरक्षा खतरे को लेकर आगाह किया था। दिल्ली पुलिस ने भी दावा किया है कि उसने बिहार पुलिस और खुफिया एजेंसियों को इस बारे में बताया था। उसे इस बारे में जानकारी इंडियन मुजाहिदीन के एक गिरफ्तार आतंकवादी मकबूल से मिली थी, जिसने अपने कुछ साथियों के साथ मंदिर परिसर की रेकी करने की बात स्वीकार की है।

दिल्ली पुलिस ने इंडियन मुजाहिदीन के गिरफ्तार आतंकवादी से मिली सूचना साझा करने के लिए अपनी टीम बिहार भेजने की बात कही है।

विस्फोटों के समय को लेकर हालांकि दो तरह की खबरें मिल रही हैं। जहां बिहार पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि पहला विस्फोट सुबह 5.15 बजे हुआ और इसके बाद करीब आधे घंटे तक कई अन्य विस्फोट हुए, वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय का कहना है कि सुबह 5.30 बजे से छह बजे के बीच विस्फोट हुए।

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उल्लेखनीय है कि महाबोधि मंदिर का निर्माण बोधगया में उस स्थान पर किया गया है, जहां भगवान बुद्ध को करीब 2,500 साल पहले ज्ञान प्राप्त हुआ। यूनेस्को ने वर्ष 2002 में इसे विश्व धरोहर घोषित किया था।