बिहार (Bihar) में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की राजनीतिक मुश्किलें विपक्ष नहीं अब उनके पार्टी के मंत्री और विधायक ही बढ़ा रहे हैं. नीतीश सरकार में वरिष्ठ मंत्री मदन साहनी (Madan Sahani) ने तो अधिकारियों की मनमानी से तंग आकर इस्तीफ़े की पेशकश की है. साहनी ने बृहस्पतिवार को सार्वजनिक रूप से कहा कि उनके अपने विभाग में प्रधान सचिव हो या चपरासी, कोई उनकी नहीं सुनता. हालांकि, मदन साहनी फ़िलहाल दरभंगा गये हैं और उन्होंने शनिवार को लौट कर इस्तीफ़ा देने की घोषणा की है.
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माना जा रहा है कि जिस 134 बाल विकास परियोजना अधिकारी के तबादले से संबंधित मदन साहनी की अनुशंसा को विभाग के प्रधान सचिव ने अनसुना किया, उसके बारे में अब कोई समाधान निकाला जा रहा है. इस्तीफे की बात के साथ-साथ साहनी ने यह भी स्पष्ट किया कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे.
लेकिन माना जा रहा है कि कई मंत्री जो तबादले में अपनी मनमर्ज़ी नहीं कर पाये, उन्होंने विभाग के सचिव के ख़िलाफ़ अब मुखर होने का फ़ैसला किया है. साहनी के पक्ष में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी आए और उन्होंने कहा कि ये बातें उन्होंने एनडीए विधायक दल में पूर्व में उठाई थी और जब तक विधायकों और मंत्रियों का सम्मान अधिकारी नहीं करेंगे असंतोष बढ़ेगा.
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नीतीश कुमार की मुश्किलें केवल साहनी जैसे मंत्री ने अपनी भड़ास सार्वजनिक कर नहीं बढ़ाई, बल्कि सत्तारूढ़ गठबंधन यानि भाजपा के दो विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू और हरिभूषण ठाकुर बचोल ने आरोप लगाया कि इस बार जून महीने में अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग में मंत्रियों ने जमकर पैसा बनाया. उनका कहना है कि कई विभाग में मनचाहे जगह पर पोस्टिंग के लिए बोली लगायी गयी. हालांकि नीतीश कुमार ने भाजपा के मुखर विधायक ठाकुर से फ़ोन पर बातचीत कर जानकारी ली. लेकिन इसका क्या समाधान निकला फ़िलहाल किसी को पता नहीं. लेकिन इस पूरे विवाद से सत्तारूढ़ गठबंधन की जमकर किरकिरी हुई है और विपक्ष को बैठे-बिठाये एक मुद्दा मिल गया है.