रक्षाबंधन पर बिछड़ा परिवार, रक्षाबंधन से पहले मिला, बेटी का नाम रखा 'राखी'... जुदाई और मिलन की फिल्‍मी कहानी

11 महीने पहले चंपारण की एक महिला अपनी 5 साल की बेटी शीतल और 3 महीने की बेटी संतोषी के साथ मायके जाने निकली थी. वो रास्ता भटक गई और गलती से महाराष्ट्र के नांदेड़ पहुंच गई. इस दौरान वह गहरे मानसिक तनाव में चली गई और अपनी पहचान तक नहीं बता पाई.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
भावुक कर देगी ये कहानी
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • बिहार के चंपारण की महिला अपनी दो बेटियों के साथ रक्षाबंधन मनाने निकली थी, लेकिन रास्ता भटककर महाराष्ट्र के नांदेड़ पहुंच गई थी.
  • महिला मानसिक तनाव में आकर अपनी पहचान नहीं बता पाई और नांदेड़ में पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया था.
  • इलाज के बाद महिला ने अपनी बेटियों के बारे में बताया, जिसके बाद NGO श्रद्धा फाउंडेशन और पुलिस ने उनकी तलाश शुरू की.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही? हमें बताएं।
मुंबई:

बिहार के चंपारण से निकली थी रक्षाबंधन मनाने, महाराष्ट्र के नांदेड़ पहुंच गई, बेटियों से बिछड़ी, मानसिक अस्पताल पहुंची और फिर 11 महीने बाद परिवार से मिलन हुआ. ये कहानी पढ़ते हुए किसी फिल्म से कम नहीं लगती, लेकिन है ये सच्चाई, ऐसी सच्‍चाई, जिसने हर किसी को भावुक कर दिया है.ये कहानी है बीरबल महतो और उनकी पत्नी की, जिनका परिवार तकरीबन एक साल पहले बिखर गया था. अब, जब रक्षाबंधन सिर पर है, उसी त्योहार से ठीक पहले पूरा परिवार फिर से एक हो गया है. यह मिलन सिर्फ एक पारिवारिक घटना नहीं, बल्कि समाज, प्रशासन और इंसानियत की साझा कोशिशों का खूबसूरत नतीजा है.

ऐसे बिछड़ गया था परिवार 

यह सब शुरू हुआ था 11 महीने पहले, जब चंपारण की एक महिला अपनी 5 साल की बेटी शीतल और 3 महीने की बेटी संतोषी के साथ मायके जाने निकली थी. रास्ते में वह रास्ता भटक गई और गलती से महाराष्ट्र के नांदेड़ पहुंच गई. इस दौरान वह गहरे मानसिक तनाव में चली गई और अपनी पहचान तक नहीं बता पाई. बेटियां भी उससे अलग हो गईं. नांदेड़ की सड़कों पर भटकती इस महिला को पुलिस ने देखा और सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसका इलाज शुरू हुआ. फिर उसे पुणे के यरवदा स्थित मानसिक रोगियों के अस्पताल में शिफ्ट किया गया.

स्वस्थ हुई तो बोली- मेरी बेटियां कहां हैं?

इलाज के बाद जब महिला की मानसिक स्थिति में सुधार आया, तो उसने अपने बच्चों के बारे में बताया. तब तक किसी को यह जानकारी नहीं थी कि वो मां है और दो मासूम बच्चियां लापता हैं. इसके बाद NGO श्रद्धा फाउंडेशन और पुलिस ने मिलकर तलाश शुरू की.

Advertisement

इसी दौरान नांदेड़ के एक अनाथालय में दो बच्चियां मिलीं, जो मां से बिछड़ने के बाद वहीं पहुंचा दी गई थीं. संस्था ने महिला के पति बीरबल महतो से संपर्क कराया. वह नांदेड़ पहुंचे, पत्नी से 11 महीने बाद मिले और फिर बेटियों से मिलते ही फूट-फूटकर रो पड़े.

Advertisement

बेटी का नाम रखा 'राखी' 

महिला के पति बीरबल महतो ने भावुक होकर कहा-'बच्चियों ने मुझे पहचान लिया... अब इसका नाम राखी रखूंगा'. उन्‍होंने कहा, 'श्रावण महीने में मेरी पत्नी गुम हो गई थी. हमने पूरे देश में तलाश की. श्रद्धा फाउंडेशन ने मेरी बीबी-बच्चों की जान बचाई. सब अलग-अलग थे, लेकिन सुरक्षित थे. मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैंने दुनिया की सबसे बड़ी दौलत पा ली हो.' 

Advertisement

उन्होंने बताया कि बड़ी बेटी का नाम शीतल और छोटी का नाम संतोषी था. लेकिन अब उन्होंने छोटी बेटी का नाम बदलकर 'राखी' रखने का फैसला किया, क्योंकि वह रक्षाबंधन के दिन ही गायब हुई थी, और इस रक्षाबंधन से पहले फिर से परिवार से मिल गई.

Advertisement

पूरा परिवार अब नांदेड़ से ट्रेन पकड़कर बिहार के चंपारण लौट चुका है. वहां उनका नया जीवन शुरू होने वाला है, जिसमें दर्द और बिछड़न की लंबी रात तो रही, लेकिन अब एक नई सुबह सामने है.

Featured Video Of The Day
Radhika Yadav Murder: हर जगह बेटी के साथ..दीपक के दोस्त ने NDTV पर किए कई बड़े खुलासे | Exclusive