बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन ने 'बिलकिस बानो' केस के दोषियों को लेकर BJP पर साधा निशाना

बिहार के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की जेल से रिहाई का रास्ता साफ़ हो गया है. बिहार सरकार ने हाल ही में अपने एक क़ानून में बदलाव किया है, जिसके बाद ये संभव हुआ है. आनंद मोहन, गोपालगंज के ज़िलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के दोषी हैं और उम्रक़ैद की सज़ा काट रहा है.

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आनंद मोहन गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में फिलहाल जेल में बंद (फाइल फोटो)

पटना:

बिहार के गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन सिंह की जेल से जल्द रिहाई के मामले को लेकर बिहार में एक बड़ा विवाद छिड़ गया है. आनंद मोहन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह सक्रिय राजनीति में वापसी करने के लिए तैयार है. अपने विधायक बेटे चेतन आनंद की शादी के लिए 15 दिन की परोल पर जेल से बाहर आए आनंद मोहन ने सत्ताधारी जदयू और विपक्षी भाजपा में तीखी नोकझोंक के बीच मीडिया से बात की. इस दौरान आनंद मोहन ने कहा, "आजादी सभी को खुश करती है, मैं भी खुश हूं..."

राजद के पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह को 1994 में एक दलित जिला मजिस्ट्रेट जी कृष्णैया की लिंचिंग के लिए उकसाने का दोषी पाया गया था. बाहुबली नेता को 2007 में एक निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन पटना उच्च न्यायालय ने बाद में इस सजा को कम कर आजीवन कारावास दिया था. वह 15 साल से जेल में है.

अब, वह उन 27 कैदियों में शामिल है, जिन्हें नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार द्वारा जेल नियमों में बदलाव के बाद रिहा किया जाना तय है, जिसमें ड्यूटी पर एक लोक सेवक की हत्या के दोषी लोगों के लिए जेल की सजा की छूट की अनुमति दी गई है. रिहाई को लेकर हो रहे हंगामे पर प्रतिक्रिया देते हुए आनंद मोहन ने कहा, "बीजेपी में कई लोग हैं, जिन्होंने यह भी कहा है कि मेरे साथ गलत किया जा रहा है और मुझे रिहा किया जाना चाहिए. आप किसी को कुछ भी कहने से नहीं रोक सकते."

बिहार सरकार के कदम की आलोचना करने वालों में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती भी हैं. इसे "दलित विरोधी" कदम करार देते हुए, उन्होंने कहा कि दलित समाज में बहुत नाराजगी है और बिहार सरकार से सिंह को रिहा करने के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.

भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए पूछा है कि क्या "सत्ता पर काबिज होने के लिए आपराधिक सिंडिकेट का सहारा लेने वाला कोई व्यक्ति विपक्षी नेता के रूप में भी भारत का चेहरा हो सकता है?"

सत्तारूढ़ जदयू ने भाजपा पर पलटवार करते हुए जोर देकर कहा कि आनंद मोहन ने अपनी जेल की अवधि पूरी कर ली है और नीतीश कुमार सरकार "आम" और "खास" लोगों के बीच अंतर नहीं करती है.

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मायावती की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर आनंद मोहन ने कहा, "मैं मायावती को नहीं जानता, आप हर बार क्यों पूछती हैं? मैं 15 साल से जेल में हूं. मायावती कौन हैं?" उन्होंने कहा कि जिन 27 लोगों के नाम सजा में छूट के लिए सूची में हैं, उन्होंने जेल में अपना समय पूरा कर लिया है. ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार लोगों को ऐसे ही घूमने दे रही है. सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है.

उन्होंने किसी भी पक्ष का नाम लिए बिना कहा, "हमने अपनी सजा पूरी कर ली. ऐसे मामले हैं, जहां लोग जेल भी नहीं गए और मामला बंद हो गया. जिस पार्टी के तहत यह हुआ, उसे अपने आपको देखना चाहिए."

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समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा साझा किए गए एक अन्य वीडियो में, सिंह को व्यंग्य करते हुए सुना जा सकता है. वह कह रहे हैं, "बहुत कुछ कहा जा सकता है. नीतीश कुमार और राजद के दबाव के कारण गुजरात में एक निर्णय लिया गया है. कुछ लोगों को रिहा किया गया है और माला पहनाकर उनका स्वागत किया गया है." यह पूछे जाने पर कि क्या वह बिलकिस बानो गैंगरेप मामले का जिक्र कर रहे हैं, उन्होंने कहा, "हां, मैं यही बात कर रहा हूं." गुजरात में बीजेपी सत्ता में है.

आनंद मोहन ने कहा कि इन 15 वर्षों में केवल दो परिवारों ने कष्ट झेले हैं, लवली आनंद (उनकी पत्नी) और मृत आईएएस अधिकारी की पत्नी उमा कृष्णैया. दूसरों ने सिर्फ शो देखा."

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यह पूछे जाने पर कि क्या एक बार रिहा होने के बाद उनकी सक्रिय राजनीति में वापसी की योजना है, आनंद सिंह ने कहा, "मैं सक्रिय राजनीति में था. इसलिए, एक बार जब मैं बाहर हो जाऊंगा, तो मैं क्या करूंगा? रिटायर हो जाऊंगा?"

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