- महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को बिहार में मुख्यमंत्री फेस घोषित कर सभी दलों की सहमति जताई है
- तेजस्वी यादव के पिता लालू यादव और मां राबड़ी देवी दोनों बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं
- कांग्रेस ने शुरू में तेजस्वी से दूरी बनाई थी लेकिन बाद में उनकी मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी को स्वीकार किया
महागठबंधन के सभी दलों की मौजूदगी में तेजस्वी यादव को बिहार में सीएम फेस घोषित किया गया. वहीं विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक मुकेश सहनी और पिछड़ा वर्ग के एक अन्य नेता बिहार में महागठबंधन के सत्ता में आने पर उपमुख्यमंत्री होंगे.खास बात ये है कि तेजस्वी के पिता लालू यादव और मां राबड़ी देवी भी बिहार की सीएम रह चुकी हैं. अब महागठबंधन के ऐलान के बाद इसका दूल्हा कौन वाला सवाल खत्म हो चुका है. 2015 के विधानसभा चुनाव में लालू यादव ने नीतीश कुमार को सीएम फेस बताकर उस वक्त एनडीए पर हमला करते थे. उस दौरान लालू कहते थे कि हमारा दूल्हा तो नीतीश कुमार हैं, एनडीए का दूल्हा कौन. इस बार एनडीए की तरफ से महागठबंधन से ये सवाल पूछा जा रहा था. पर अब महागठबंधन ने तेजस्वी को फेस घोषित करके बड़ा संदेश दे दिया है.
मुकेश सहनी का आरोप बीजेपी ने हमारी पार्टी को तोड़ा
महागठबंधन की बैठक में VIP प्रमुख मुकेश सहनी ने कहा कि बीजेपी ने विकासशील इंसान पार्टी को तोड़ा और हमारे विधायकों को खरीदा. तभी हमने कसम खाई थी जब तक इस पार्टी को तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं. हम सभी महागठबंधन के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाएंगे और भाजपा को बिहार से बाहर करेंगे.बता दें कि मुकेश सहनी की पार्टी 15 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन दो सीटों पर RJD के उम्मीदवार भी उसके सामने हैं.
तेजस्वी को CM फेस घोषित करने की कवायद लंबे समय से चल रही थी
गौरतलब है कि तेजस्वी के राज्य के सीएम फेस घोषित करने की कवायद पिछले काफी वक्त से चल रही थी. कांग्रेस शुरुआत में तेजस्वी के चेहरे से दूरी बनाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन बाद में कांग्रेस भी रुख में नरमी ले आई थी. अब जबकि तेजस्वी के चेहरे का ऐलान हो गया तो महागठबंधन के सभी दल उनके नेतृत्व में राज्य में चुनाव प्रचार करना शुरू करेंगे. आरजेडी के कोर वोटर मुस्लिम और यादव के साथ-साथ इस बार तेजस्वी ने कुशवाहा और सवर्ण कार्ड भी खेला है. अगर इस बार बिहार में उनका दांव सफल रहा तो एनडीए को मुश्किल होने वाली है. बहरहाल, लालू यादव ने अपने दांवपेच के जरिए तेजस्वी को सीएम का चेहरा घोषित करवाकर एक बड़ी जीत तो हासिल कर ली है. अब तेजस्वी महागठबंधन के दलों के साथ मिलकर बिहार में जीत का दांव के लिए सियासी मोहरे तेजी से चलेंगे.
कांग्रेस के पास कोई चारा नहीं था- विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषक रंजन ऋतुराज ने कहा कि कांग्रेस के पास तेजस्वी यादव के चेहरे पर राजी होने के अलावा कोई चारा नहीं था. एनडीए में टिकट बंटवार से लेकर उनका एकजुट होना महागठबंधन को भी ऐसा करने पर मजबूर कर गया. ऋतुराज का कहना है कि कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने की क्षमता तो 25 साल पहले त्याग दी थी. हालांकि, पार्टी कभी कन्हैया कुमार तो कभी पप्पू यादव के जरिए कांग्रेस तेजस्वी के साथ तोलमोल करती है. लेकिन जब लालू यादव अड़ जाते हैं तो कांग्रेस के पास कोई चारा नहीं बचता है.