इस लोकसभा चुनाव में बिहार की सबसे लोकप्रिय सीट में से एक रही पूर्णिया. इस सीट से पप्पू यादव ने जीत हासिल की. पूर्णिया सीट से एनडीए के लिए जीत शुरू में आसान लग रही थी क्योंकि इंडिया गठबंधन के तहत आरजेडी बीमा भारती के खिलाफ खुद इंडिया गठबंधन में रहते हुए पप्पू यादव ही सामने खड़े. कहा जाता है कि पप्पू यादव ने चुनाव से ठीक पहले अपनी पार्टी का कांग्रेस में इसलिए विलय किया था ताकि उन्हें पूर्णिया सीट से टिकट दिया जाए. लेकिन जब आरजेडी के साथ कांग्रेस ने सीटों का बंटवारा किया तो यह सीट आरजेडी के हिस्से में चली गई. और आरजेडी ने इस सीट से बीमा भारती को टिकट दे दिया. इंडिया गठबंधन के इस फैसले के बाद पप्पू यादव ने निर्दलीय उम्मीदवार यहां से पर्चा भरा.
पप्पू यादव के सामने अपनी साख बचाने की चुनौती थी. और सामने खड़े थे एनडीए के उम्मीदवार संतोष कुमार और इंडिया गठबंधन से बीमा भारती. लेकिन पप्पू यादव ने कमर कसी और मैदान में ऐसे उतरे कि मानों उन्होंने पीछे मुड़कर देखा ही नहीं. पूर्णिया सीट से पप्पू यादव ने जीत हासिल कर चुके हैं.
कई दिनों तक आरजेडी और कांग्रेस के संपर्क में रहे थे पप्पू यादव
इंडिया गठबंधन ने जब बीमा भारती को टिकट दिया तो पप्पू यादव ने इसका जमकर विरोध किया. उन्हें उम्मीद थी कि उनका गढ़ माने जाने वाले सीमांचल में पार्टी उनकी बात सुनेगी और उन्हें ही पूर्णिया से मौका मिलेगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. आरजेडी ने बीमा भारती का नाम वापस लेने से इनकार कर दिया. इसके बाद ही पप्पू यादव ने कहा कि वह चाहे जो हो जाए अब इसी सीट से चुनाव लड़ेंगे.
मतों की गणना के दौरान बेहद रोमांचक रहा मुकाबला
चार जून की सुबह जब पूर्णिया में मतों की गणना शुरू हुई तो कुछ घंटे में ही पप्पू यादव ने बड़ी लीड ले ली. ऐसा लगा कि अब पप्पू यादव ही जीतने वाले हैं लेकिन करीब 10 बजे जब और ईएमए खुले तो जेडीयू के संतोष कुमार पप्पू यादव को पछाड़कर आगे निकल गए. करीब दो घंटे तक संतोष कुमार ने अपनी लीड बरकरार रखी लेकिन करीब सवा बारह बजे के करीब पप्पू यादव एक बार फिर आगे हो गए. उनकी यह लीड महज आधे घंटे के लिए बरकरार रही. करीब एक बजे के करीब जेडीयू के संतोष कुमार फिर से इस रेस में आगे दिखे. लेकिन चार बजते-बजते पप्पू यादव ने एक बार और लीड ली और उनकी ये जीत तब तक कायम रही जब तक उन्होंने संतोष कुमार पर 30 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल नहीं कर ली.