बिहार चुनाव: पटना की हवा में सस्पेंस तैर रहा है, क्या ये तूफान के आने के पहले वाली शांति है?

Bihar Chunav Updates: बिहार में चुनावों की घोषणा के बाद दोनों बड़े गठबंधन अब सीटों के बंटवारे को लेकर उलझे हैं. बीजेपी एनडीए गठबंधन के सहयोगियों से बातचीत कर रही है.

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  • बिहार में चुनाव की घोषणा होने के बाद भी एनडीए और महागठबंधन में सीटों का तालमेल अभी नहीं हुआ है
  • बीजेपी अपने सहयोगी चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को मनाने में जुटी हुई है
  • उधर, आरजेडी भी कांग्रेस और CPI (ML) के नेताओं से सीटों के गुणा-गणित में उलझी हुई है
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पटना:

बिहार में सियासी दल सीटों के दांव पेच सुलझाने में जुटे हैं. उधर, मौजूदा विधायकों की दिल की धड़कनें बढ़ी हुई हैं. नए दावेदारों से पटना के सभी होटल फुल हैं. बिहार की राजधानी पटना में हर तरफ नेताओं और उनके समर्थकों की भीड़ दिख रही है. एनडीए और महागठबंधन के दलों में सीट बंटवारे से पहले पाटलिपुत्र की सियासी फिजा में गजब का सस्पेंस है. टॉप लीडर की चुप्पी. पर सियासी शतरंज बंद कमरे में चल रहे हैं. चुनाव की घोषणा होने के बाद बिहार की सड़कों पर अभी तूफान से पहले वाली शांति छाई हुई है. 

बड़े नेता दफ्तरों से 'गायब'

दरअसल, अभी भले ही सीटों का बंटवारा दलों के बीच नहीं हुआ हो लेकिन दावेदारों की भीड़ ने सभी दलों के बड़े नेताओं की मुश्किलें बढ़ा चुका है. हालत ये हैं कि सभी दलों के बड़े नेता पार्टी दफ्तरों से दूरी बना चुके हैं. ये नेता कई दिनों से दफ्तर आने बंद कर चुके हैं. क्योंकि जैसे ही उनकी पार्टी दफ्तर में एंट्री होती है, दावेदारों की भीड़ उन्हें घेर लेती है. चूंकि अभी सीट बंटवारे को लेकर किसी दल में कोई समझौता नहीं हुआ है तो बड़े नेताओं को भी सियासी तस्वीर साफ नहीं दिख रही है. चाहे बीजेपी का दफ्तर हो या फिर आरजेडी या फिर जेडीयू. यहां बड़े नेताओं ने आना ही बंद कर दिया है. इन सभी ऑफिस में प्रवक्ताओं की टीम तो आ रही है लेकिन उनको भी बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. उनके ऑफिस आते ही दावेदार उनके पास पहुंच जा रहे हैं. ऐसे में उन्हें मीटिंग करने का तक मौका नहीं मिल पा रहा है. 

सुबह 10 से ही दफ्तरों में दावेदारों की भीड़ 

सभी पार्टी दफ्तरों में टिकट दावेदारों की भीड़ सुबह 10 बजे से ही शुरू हो जाती है. इसके बाद बाद हर तरफ केवल भीड़ ही भीड़ होती है. चूंकि बड़े नेता दफ्तर में होते नहीं है तो इन दावेदारों को कोई भरोसा दिलाने वाला भी नहीं होता है. ये दावेदार हर दरवाजा खटखटाते हैं. पर अभी इन्हें भरोसा नहीं मिल रहा है. दरअसल, अभी भरोसा मिल भी नहीं सकता है क्योंकि सभी दल सीट बंटवारे की प्रेशर पॉलिटिक्स में उलझे हुए हैं. 

सीटें 243 पर कैंडिडेट 'हजार'

राज्य में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं. हर सीट पर अलग-अलग पार्टियों के कई दावेदार हैं. बीजेपी, आरजेडी, जेडीयू, लोजपा (आर) के दावेदार पार्टी दफ्तर में जमे रहते हैं. हर पार्टी से एक सीट पर कई-कई दावेदार पाटलिपुत्र में डेरा जमाए हुए हैं. यानी बड़े नेताओं की माथापच्ची बढ़ने वाली है. हर किसी के पास टिकट लेने का अपना दावा है. सीट बंटवारा फाइनल होने के बाद सभी दलों को इन दावेदारों से टकराना होगा. तो राज्य की सियासी फिजा में सीट बंटवारे के बाद होने वाली हलचल के लिए भी तैयार रहिए. 

पटना के सभी होटल फुल

दावेदारों की भीड़ और उनके समर्थकों से पटना के सभी होटल फुल हैं. अभी किसी अन्य को राजधानी के होटलों में कमरा मिलना मुश्किल है. सभी छोटे-बड़े होटल दावेदारों की भीड़ से भरे हुए हैं. हर होटल में राजनीति का दांव-पेच चल रहा है. देर रात तक दावेदार होटल लौटते हैं और फिर सुबह वो टिकट के दावे के लिए नेताओं के चक्कर लगाना शुरू कर देते हैं. तो यूं समझिए की बिहार की चुनावी बयार अभी बड़ी दिलचस्प है. हर तरफ माहौल राजनीतिमय है. किसका टिकट होगा कन्फर्म, किसे मिलेगी मायूसी बस कुछ दिन में पता चलने ही वाला है. 
 

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