- बिहार चुनाव में दीपक प्रकाश सासाराम सीट से निर्दलीय उम्मीदवार रामायण पासवान के काउंटिंग एजेंट थे
- इस सीट से दीपक की मां स्नेहलता कुशवाहा RLM के टिकट पर जीतकर विधायक बनीं, पासवान की जमानत जब्त हो गई
- दीपक प्रकाश RLM अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं और पंचायती राज विभाग का मंत्री बनाया गया है
बिहार की राजनीति में इस बार सिर्फ सीटों का फेरबदल ही नहीं, बल्कि कई रोचक और हैरान कर देने वाली कहानियां भी सामने आ रही हैं. इनमें सबसे चर्चा में है नीतीश कुमार की कैबिनेट में RLM कोटे से मंत्री बनाए गए दीपक प्रकाश का मामला. इस चुनाव में दीपक प्रकाश सासाराम विधानसभा सीट पर एक ऐसे निर्दलीय उम्मीदवार के काउंटिंग एजेंट बने थे, जिसकी जमानत जब्त हो गई और जो चुनाव में महज 327 वोट हासिल कर पाया. पीएम मोदी की मौजूदगी में नीतीश कैबिनेट ने मंत्री पद की शपथ लेने के बाद दीपक प्रकाश को पंचायती राज विभाग आवंटित किया गया है. शनिवार को उन्होंने मंत्रालय में जाकर पदभार ग्रहण किया.
सासाराम में निर्दलीय प्रत्याशी के काउंटिंग एजेंट थे
बिहार विधानसभा चुनाव में दीपक प्रकाश ने सासाराम विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार रामायण पासवान के लिए काउंटिंग एजेंट की भूमिका निभाई थी. नतीजे आए तो रामायण पासवान को कुल 327 वोट ही मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई. इसके उलट दीपक की मां स्नेहलता कुशवाहा इसी सीट से राष्ट्रीय लोक मोर्चा पार्टी (RLM) के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बनीं. इस तरह परिवार की राजनीति में जीत और हार के दोनों पहलू एक ही निर्वाचन क्षेत्र में देखने को मिले थे.
RLM प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं दीपक प्रकाश
दीपक प्रकाश RLM अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं. हाल ही में नीतीश सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में दीपक को मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी. सादा शर्ट-जींस और पैरों में क्रॉक्स पहनकर दीपक ने शपथ ली थी. जब उनसे इस वेशभूषा के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि उन्हें भी शपथ से कुछ देर पहले ही पता चला था कि उन्हें मिनिस्टर बनाया जा रहा है... मुझे मंत्री क्यों बनाया गया, ये पिता जी से पूछिए.
मां के खिलाफ लड़े निर्दलीय प्रत्याशी के एजेंट बने
राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि दीपक प्रकाश ने अपनी मां की चुनावी टीम में शामिल होने के बजाय निर्दलीय उम्मीदवार रामायण पासवान के काउंटिंग एजेंट के रूप में काम किया. चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार, दीपक प्रकाश की भूमिका मतगणना के दौरान रामायण पासवान के अभिकर्ता के रूप में थी.
चुनाव आयोग के पहचान पत्र में भी दर्ज है नाम
चुनाव आयोग द्वारा जारी पहचान पत्र में भी यह दर्ज है कि वे रामायण पासवान के काउंटिंग रिटर्निंग ऑफिसर (RO) के रूप में तैनात थे. मतगणना के दौरान काउंटिंग RO का काम बेहद संवेदनशील माना जाता है. उन्हें उम्मीदवार के वोटों की निगरानी से लेकर मतगणना के समय टेबल पर मौजूद रहकर प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करवाना होता है.
निर्दलीय उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी
इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार रामायण पासवान को महज 327 वोट मिले थे. इतने कम वोटों के कारण उनकी जमानत जब्त हो गई. हैरानी की बात ये है कि दीपक प्रकाश जिस उम्मीदवार के काउंटिंग RO थे, वह तो चुनाव में हार गया, लेकिन दीपक प्रकाश मंत्री बन गए. यह विरोधाभासी स्थिति राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा का विषय है.
पंचायती राज विभाग के मंत्री बने दीपक प्रकाश
दीपक प्रकाश ने शनिवार को पंचायती राज विभाग का कार्यभार संभाल लिया. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि यह मामला बिहार की राजनीति में पारिवारिक और व्यक्तिगत राजनीति के मिश्रण का एक अनोखा उदाहरण है. जहां एक तरफ परिवार के सदस्य चुनाव जीतते हैं, वहीं उनके करीबी किसी अन्य उम्मीदवार के पक्ष में सक्रिय रहते हैं. यह स्थिति लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विविध भूमिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को दिखाती है. आगामी समय में यह देखना रोचक होगा कि मंत्री दीपक प्रकाश अपने विभाग में किस प्रकार की नीतियां लागू करते हैं और बिहार की स्थानीय राजनीति में उनकी सक्रिय भूमिका कितनी प्रभावशाली साबित होती है.
(रंजन सिंह, रोहतास बिहार से)













