बिहार में न तो ब्लैक फ़ंगस के मरीज़ों का ऑपरेशन हो पा रहा है और न ही दवा समय से अब मिल पा रही है. दिलीप कुमार आपबीती बताते हुए कहते हैं, ‘यहां सात दिन भर्ती रहने के बाद कहा गया कि AIIMS में ले जाओ. वहाँ ले गये तो नहीं लिया कहा गया कि बेड ख़ाली नहीं हैं इंदिरा गांधी में भी नहीं लिया वहाँ से यहाँ रेफ़र कर दिया और यहाँ का डॉक्टर बोला जल्दी ऑपरेशन करो और उसकी सुविधा यहाँ नहीं हैं. इतनी बड़ी हॉस्पिटल है लेकिन ऑपरेशन का सुविधा नहीं तो ग़रीब आदमी जाएगा कहां.'
उन्होंने कहा कि पिछले दस दिन से हर अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन जहां ऑपरेशन होगा वहां बेड नहीं और जहां बेड मिला हैं उस बिहार के सबसे बड़े पुराने अस्पताल पीएमसीएच में ऑपरेशन की सुविधा नहीं. हालांकि बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने बढ़ते मामलों के मद्देनज़र कुछ निजी अस्पतालों को इलाज की सुविधा दी हैं लेकिन उनका रोना है कि दवा की उपलब्धता एक चुनौती हैं.
रुबन अस्पताल के डायरेक्टर, डॉ. सत्यजीत कहते हैं ‘इसे लेकर अनिश्चितता की स्थिति है. सर्जरी करने से काम नहीं चलेगा. फ़िलहाल बिहार में 513 से अधिक मरीज हैं और अब तक 55 लोगों की मौत हो चुकी है.' बिहार सरकार भी मानती हैं कि वो अपने AIIMS और IGIMS जैसे अस्पताल, जहां इस बीमारी के सर्वाधिक मरीज़ हैं, को आवश्यक इंजेक्शन के जगह विकल्प में टैबलेट दे रही है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे कहते हैं, ‘इन दवाओं का निश्चित मात्रा में देश के अंदर उत्पादन होता हैं और जब आवश्यकता पड़ी हैं तो इंपोर्ट भी किया जा रहा हैं. उपलब्धता के मामले में हम लगातार केंद्र के संपर्क में हैं.' लेकिन इन मरीज़ों का जो हाल हैं उससे तो लगता हैं न तो तैयारी है और न अब उससे निबटने का तरीक़ा