बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से शुक्रवार शाम मुलाकात की. बिहार में नए सरकार के गठन और राज्य के नए उपमुख्यंत्री बनाए जाने के बाद तेजस्वी यादव की सोनिया गांधी से पहली मुलाकात है. सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश जी का हमसे फिर हाथ मिलाना बीजेपी के मुंह पर तमाचे की तरह है. उन्होंने आगे कहा कि ये सरकार जनता की सरकार है. बिहार विधानसभा में बीजेपी को छोड़कर सभी दल एक हो चुके हैं. यही दृश्य अब पूरे देश में दिखने वाला है. चाहे बात महंगाई की हो या फिर हिंदू -मुस्लिम की लड़ाई लड़ाने की, इन सब मुद्दों को लेकर बीजेपी को बिहार ने सबक सिखाया है. मैं सीएम नीतीश कुमार और सोनिया गांधी को धन्यवाद देते हैं. मैं लालू जी को भी धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने जिंदगी भर सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ाई लड़ी.
तेजस्वी यादव ने कहा कि आज जो माहौल है उसमें बीजेपी सिर्फ डरा कर सत्ता में आती है. बीजेपी का एक ही काम है जो डरेगा उसे डराओ जो बिकेगा उसे खरीदो. बीजेपी एक-एक एजेंसी को बर्बाद कर रही है. इनकी हालत तो पुलिस थाने से भी बदतर हो चुकी है. हम बिहार के लोग डरने वाले नहीं है. हमने पहले भी कहा था कि बिहारी बिकाऊ नहीं टिकाऊ होता है. जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह ने एक एक बात बताई है कि कैसे बीजेपी क्षेत्रीय दल को खत्म करना चाहती है. अगर क्षेत्रीय खत्म हो गया तो देश में विपक्ष खत्म होगा,विपक्ष खत्म हो गया तो समझिए लोकतंत्र खत्म हो गया. यानी देश में तानाशाही चलेगी. तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश जी ने हमपर आरोप लगाया हमने उनपर आरोप लगाया लेकिन हम समाजवादी लोग हैं इसलिए आज भी साथ हैं.
बता दें कि 2015 की महागठबंधन सरकार में भी कांग्रेस सरकार में शामिल थी. ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस बार भी बिहार में कांग्रेस सरकार में शामिल हो सकती है. राजनीतिक के जानकार तेजस्वी और सोनिया गांधी की इस मुलाकात को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों की तरह भी देख रहे हैं. उनका मानना है कि तेजस्वी 2024 में पीएम मोदी के खिलाफ नीतीश कुमार को विपक्ष के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने को लेकर विपक्षी पार्टियों को एक करने में जुटे हैं.
बता दें कि 10 अगस्त को ही बिहार में नीतीश कुमार ने एनडीए से गठबंधन तोड़ने के बाद आरजेडी और अन्य विपक्षी पार्टियों से हाथ मिलकर राज्य में नई सरकार का गठन किया था. सीएम नीतीश कुमार के इस फैसले के बाद से ही बीजेपी और बिहार सरकार के घटक दल जिनमें खास तौर पर जेडीयू और आरजेडी शामिल हैं, के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई थी.