बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तेजी पूरे प्रदेश में प्रचार किया जा रहा है, इस बीच पटना से सटे मोकामा में जन सुराज के एक समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या हो गई है. इस मामले में जदयू के उम्मीदवार अनंत सिंह सहित पांच लोगों के खिलाफ नामजद के अलावा अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया गया है. अनंत सिंह ने भी इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई है. इन्होंने पीयूष प्रियदर्शी सहित 5 लोगों को नामजद और अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया है. इस मामले में पुलिस ने एक स्पेशल टीम का गठन कर जांच शुरू कर दी है.
दुलारचंद यादव की हत्या को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया कि चुनाव आचार संहिता के दौरान लोग बंदूक लेकर कैसे घूम रहे हैं? इस हत्याकांड के बाद पुलिस के सीनियर ऑफिसरों ने भारी पुलिस बल की तैनाती ताल क्षेत्र में संभावित झड़प वाले स्थानों को चिन्हित कर की है. तनाव को कम करने के लिए एएसपी बाढ़ पूरे इलाके में घूम रहे हैं.
कभी टाल का आतंक था दुलारचंद यादव
मोकामा का टाल इलाका, यहां 1980 के दशक में दुलारचंद यादव गांव में चोरी की घटना को अंजाम देता था. इसके बाद वह टाल क्षेत्र में फसल लूट, जमीन पर अवैध कब्जा, अपहरण की वारदातों को अंजाम देने लगा. 1980 से लेकर साल 2000 तक 36 मुकदमे मोकामा, पंडारक, बाढ़, भदौर, साम्यगढ़, घोसवरी आदि थानों में उसके खिलाफ दर्ज किये गए. तब मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव की मेकरा की सभा में चांदी का मुकुट पहनकर उन्होंने राजनीति की दुनिया में कदम रखा था. इसके बाद हुआ 1995 में लोक दल के प्रत्याशी के रूप में मोकामा विधानसभा क्षेत्र में तत्कालीन रहे. विधायक रहे दिलीप कुमार सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था और वह चुनाव  मामूली अंतर से हार गए थे. 
दुलारचंद यादव अपराध और अपराधी की दुनिया का विकास चल क्षेत्र में अपने आप को बेताज बादशाह समझता था इस दौरान उसके एक भतीजा मसुदन यादव की हत्या एवं चंद्रमौली यादव गोली लगने से जख्मी होकर भी भाग निकला था. मृतक दुलारचंद यादव कद काठी से ही नहीं, बल्कि पहलवानी का भी शौक रखता था और अखाड़े के दंगल में वह कुश्ती भी लड़ता था.














