अदाणी पोर्ट्स की सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत, मुंद्रा जमीन मामले में गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे

सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी पोर्ट्स से 108 हेक्टेयर भूमि वापस लेने के निर्देश देने वाले गुजरात हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है.

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मुंद्रा पोर्ट को दी गई 108 हेक्टेयर चारागाह भूमि का मामला...
नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट, गुजरात सरकार द्वारा 108 हेक्टेयर भूमि को वापस लेने के खिलाफ अदाणी पोर्ट्स और एसईजेड लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है. कोर्ट ने अदाणी पोर्ट्स से 108 हेक्टेयर भूमि वापस लेने के निर्देश देने वाले गुजरात हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

बता दें कि अदाणी पोर्ट्स को कच्छ क्षेत्र में 108 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई थी. गुजरात हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें भूमि आवंटन को चुनौती दी गई थी. जनहित याचिका में स्थानीय समुदाय के लिए चारागाह भूमि के नुकसान का हवाला दिया गया है. आवंटन रद्द करने का निर्देश उस जमीन का दिया गया, जो 20 साल पहले अदाणी समूह को आवंटित की गई थी.

दरअसल, गुजरात सरकार ने शुक्रवार को हाई कोर्ट को सूचित किया कि वह लगभग 108 हेक्टेयर गौचर भूमि वापस लेगी, जो 2005 में राज्य के कच्छ जिले में मुंद्रा बंदरगाह के पास अदाणी समूह की एक इकाई को दी गई थी. सरकार का यह निर्णय नवीनल गांव के निवासियों द्वारा अदाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड लिमिटेड को 231 एकड़ गौचर भूमि आवंटित करने के निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने के 13 वर्ष बाद आया है.

हालांकि, राज्य राजस्व विभाग ने 2005 में आवंटन कर दिया था, लेकिन ग्रामीणों को इसके बारे में 2010 में पता चला जब एपीएसईजेड ने गौचर भूमि पर बाड़ लगाना शुरू किया. निवासियों के अनुसार, एपीएसईजेड को 276 एकड़ में से 231 एकड़ भूमि आवंटित करने के बाद गांव में केवल 45 एकड़ चारागाह भूमि ही बची है. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यह कदम अवैध है, क्योंकि गांव में पहले से ही चारागाह की कमी है. इसके अलावा, उन्होंने दावा किया कि यह जमीन सार्वजनिक है और सामुदायिक संसाधन है.

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गुजरात हाई कोर्ट ने 2014 में जनहित याचिका का निपटारा कर दिया था. तब राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि उपायुक्त ने चरागाह के लिए 387 हेक्टेयर अतिरिक्त सरकारी भूमि देने का आदेश पारित किया था. जब ऐसा नहीं हुआ तो उच्च न्यायालय में अवमानना ​​याचिका दायर की गई. राज्य सरकार ने 2015 में अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर कर दलील दी कि पंचायत को आवंटन के लिए उपलब्ध जमीन सिर्फ 17 हेक्टेयर है. इसके बाद राज्य सरकार ने शेष भूमि को लगभग 7 किलोमीटर दूर आवंटित करने का प्रस्ताव रखा, जो ग्रामीणों को स्वीकार्य नहीं था, क्योंकि उनका कहना था कि मवेशियों के लिए इतनी लंबी दूरी तय करना संभव नहीं है.

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अप्रैल 2024 में मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति प्रणव त्रिवेदी की खंडपीठ ने राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) को समाधान निकालने का निर्देश दिया था. शुक्रवार को एसीएस ने हलफनामे के जरिए पीठ को बताया कि राज्य सरकार ने करीब 108 हेक्टेयर यानी 266 एकड़ गौचर भूमि वापस लेने का फैसला किया है, जिसे पहले एपीएसईजेड को आवंटित किया गया था.

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(Disclaimer: New Delhi Television is a subsidiary of AMG Media Networks Limited, an Adani Group Company.)

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