बीड़ी की कहानी में बड़ी आग है, जानिए कैसे आई भारत

भारत मुख्य रूप से बेल्जियम, कोरिया, नाइजीरिया, मिस्र और नेपाल को अनिर्मित तंबाकू का निर्यात करता है. पश्चिमी यूरोप भी भारतीय तंबाकू निर्यात का एक प्रमुख बाज़ार है.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
तम्बाकू उद्योग भारत में लगभग 45.7 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार प्रदान करता है.
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • बीड़ी का इतिहास भारत में सोलहवीं सदी के पुर्तगाली काल से शुरू हुआ और 1787 में इसके सुधारात्मक प्रयास शुरू हुए.
  • महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन ने बीड़ी के उपयोग को बढ़ावा दिया और इसे भारतीय समाज में व्यापक बनाया.
  • बीड़ी उत्पादन मुख्यतः मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा में होता है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

बीड़ी के बारे में हर कोई जानता है. पीने वाला भी और न पीने वाला भी. जीएसटी रेट बीड़ी के कम हुए तो केरल कांग्रेस ने बी से बिहार और बी से बीड़ी का एक पोस्ट कर तंज कसने की कोशिश की. मगर बीड़ी ने आग लगा दी और आखिर उन्हें माफी मांगनी पड़ी. इससे पहले ओमकारा फिल्म के गाने बीड़ी जलइले जिगर से पिया ने भी भरपूर आग लगाई थी. मगर बीड़ी में दिन-रात आग लगाने वालों को भी इसके इतिहास के बारे में बहुत कम पता है. वो तो बस धुएं का आनंद ले लेते हैं. आपको जानकार हैरानी होगी कि भारत में बीड़ी 1600 के दशक में आई थी. इसे पुर्तगाली भारत में लेकर आए थे.

1787 में बने संस्थान

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के केंद्रीय तंबाकू अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार, बीड़ी में सुधार के प्रयास 1787 में कलकत्ता बॉटनिकल गार्डन की स्थापना के साथ शुरू हुए. वर्जीनिया तंबाकू की खेती और प्रयोग सबसे पहले पूसा और गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) में शुरू किए गए और काली मिट्टी में इसकी व्यावसायिक खेती 1920 में शुरू हुई. 1930 के दशक तक, भारत ने दुनिया के तंबाकू मानचित्र पर अपनी मजबूत स्थिति बना ली थी. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय तंबाकू की सफलता के बाद, तंबाकू पर उत्पाद शुल्क लगाया गया और तब से यह उत्पाद शुल्क राजस्व के प्रमुख स्रोतों में से एक बना हुआ है.

द्वितीय विश्व युद्ध तक बढ़ गया दायरा

भारत में अंग्रेजों के शासनकाल आने तक बीड़ी उद्योग आकार ले चुका था. गुजरात में 1899 के सूखे ने कई परिवारों को आजीविका की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर किया, और बीड़ी एक लघु उद्योग बन गया. द्वितीय विश्व युद्ध के आसपास, बीड़ी उद्योग शहरी झुग्गियों और ग्रामीण क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण और व्यापक कुटीर उद्योग बन गया. मध्य भारत में रेलवे के आगमन के साथ, तंबाकू की आपूर्ति और बीड़ी बेचना अधिक आसान हो गया. इससे बीड़ी ब्रांडों का ट्रेडमार्कीकरण हुआ. इसने गांवों में एक-दूसरे को हुक्का साझा करने की समस्या को दूर कर दिया था. इसके विस्तार में एक और बड़ा कारण था कि इससे लोगों को जाति और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना धूम्रपान करने की सुविधा मिलती थी. किसी को किसी का झूठा हुक्का नहीं पीना पड़ता था.

महात्मा गांधी के आंदोलन से मिली धार

महात्मा गांधी के 1920 में शुरू किए गए 'स्वदेशी आंदोलन' के परिणामस्वरूप बीड़ी को और बढ़ावा मिला. शिक्षित वर्ग ने सिगरेट छोड़ कर बीड़ी की ओर रुख किया, जिससे बीड़ी उद्योग का दायरा ग्रामीण और निम्न-मध्यम वर्ग से भारतीय अभिजात वर्ग तक फैल गया. बीड़ी कारोबार ने अनौपचारिक शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं में अपनी मजबूत पकड़ बना ली, क्योंकि धूम्रपान की आदत शहरों से दूर-दराज के गांवों और कस्बों तक फैल गई. जैसे-जैसे राष्ट्र स्वतंत्रता संग्राम में एकजुट हुआ, बीड़ी उद्योग भारतीय समाज के सभी वर्गों को शामिल करने लगा. अपने आविष्कार के लगभग 150 वर्षों और बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू होने के एक सदी से भी कम समय में, बीड़ी उद्योग वास्तव में विकसित हुआ.

भारत दुनिया में तीसरा बड़ा निर्यातक

भारत दुनिया भर में तंबाकू और बीड़ी उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. भारत में, बीड़ी उत्पादन मुख्यतः देश के पूर्वी, उत्तरी और उत्तर-पूर्वी भागों में है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा किए गए वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में वर्तमान में 19% पुरुष,2% महिलाएं और 10.7% (99.5 मिलियन) वयस्क तंबाकू का सेवन करते हैं. उन्होंने यह भी पाया कि 29.6% पुरुष, 12.8% महिलाएं और 21.4% (199.4 मिलियन) वयस्क वर्तमान में धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं. इस प्रकार, हम देख सकते हैं कि भारत में धुआं रहित तंबाकू को अधिक पसंद किया जाता है. यह भी देखा गया कि बीड़ी पर औसत मासिक खर्च (दैनिक बीड़ी पीने वालों के लिए) लगभग 284.1 करोड़ रुपये था. भारत दुनिया में तंबाकू और बीड़ी उत्पादों के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है. सरकार उच्च करों और कड़े नियमों के बावजूद भारत में तंबाकू और बीड़ी की खपत को नियंत्रित नहीं कर पाई है.

इन देशों तक जाती है बीड़ी

भारत मुख्य रूप से बेल्जियम, कोरिया, नाइजीरिया, मिस्र और नेपाल को अनिर्मित तंबाकू का निर्यात करता है. पश्चिमी यूरोप भी भारतीय तंबाकू निर्यात का एक प्रमुख बाज़ार है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय तंबाकू बोर्ड के अनुसार, नवंबर 2020 में भारत ने 305 करोड़ रुपये मूल्य का अनिर्मित तंबाकू निर्यात किया. अगर हम आंकड़ों पर गौर करें, तो हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि भारत वैश्विक स्तर पर भी तंबाकू और बीड़ी उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी है. 2014 तक अमेरिका को भी भारत बीड़ी का निर्यात किया करता था. मगर 2014 में बीड़ी को अमेरिका में बैन कर दिया गया.

Advertisement

भारत में बीड़ी कहां बनती है

बीड़ी का उत्पादन मुख्यतः मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा राज्यों में केंद्रित है. अधिकांश बीड़ी घरों में बनाई जाती है, जहां महिलाएं और बच्चे बीड़ी बनाने वालों का एक बड़ा हिस्सा हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीड़ी का वार्षिक उत्पादन लगभग 550 अरब बीड़ी प्रति वर्ष है.

बीड़ी बनाने की प्रक्रिया

  • तेंदू के पत्ते इकट्ठा करना
  • तेंदू के पत्तों को पानी में भिगोना
  • तेंदू के पत्तों को सुखाना
  • तेंदू के पत्तों को उपयुक्त आकार और आकृति में काटना
  • तेंदू के पत्तों को रोल करना
  • तंबाकू पाउडर से रोल भरना और लपेटना
  • फिर उन्हें विनाइल पैकेट में पैक करना

रोजगार भी देता है तम्बाकू

तम्बाकू उद्योग भारत में लगभग 45.7 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार प्रदान करता है, जिनमें तेंदू पत्ता तोड़ने वालों से लेकर फ़ैक्टरी मज़दूर तक शामिल हैं. इस रोज़गार का एक बड़ा हिस्सा देश के ग्रामीण क्षेत्रों और दूरदराज के इलाकों में है. ज़्यादातर बीड़ी मज़दूर पर्याप्त बुनियादी ढांचे और स्वच्छता मानकों के बिना घर से काम करते हैं. बीड़ी उद्योग लंबे समय से गरीब महिलाओं और बच्चों की आजीविका का स्रोत रहा है. सरकार भी रोज़गार प्रदान करने में बीड़ी उद्योग की भूमिका को मानती है, इसलिए उसने अब तक किसी भी बड़े उपकर या कर वृद्धि से परहेज किया है.

Featured Video Of The Day
Mumbai News: '400 किलो RDX' टारगेट पर मुंबई? | Bharat Ki Baat Batata Hoon | Syed Suhail