सद्भाव की मिसाल: मुस्लिम युवकों ने अकेली बुजुर्ग महिला का हिंदू रीति-रिवाज से किया अंतिम संस्कार

गांधी नगर निवासी निसार सिलावट ने जानकारी देते हुए बताया कि शहर के गांधीनगर, जंगी चौक के पास गली में सलीम कुरेशी के मकान में लगभग 15 वर्षों से अकेली बुजुर्ग औरत शांति देवी (67) रहे रही थी. शांति देवी काफी समय से बीमार चला रही थीं और जिले के सबसे बड़े हॉस्पीटल महात्मा गांधी हॉस्पिटल में इलाजरत थी और उसकी देखभाल मुस्लिम समाज के असगर अली कर रहे थे.

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  • भीलवाड़ा के गांधी नगर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बिना वारिस बुजुर्ग हिंदू महिला का अंतिम संस्कार किया
  • 67 वर्षीय शांति देवी की मौत के बाद मुस्लिम युवाओं ने उनकी अर्थी को कंधा देकर शमशान तक पहुंचाया
  • मुस्लिम समाज के असगर अली ने शांति देवी की देखभाल की और उनके अंतिम संस्कार में भी सहयोग दिया
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भीलवाड़ा:

भीलवाड़ा के गांधी नगर में सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल देखने को मिली है. जंहा बुजुर्ग महिला का कोई वारिस नहीं था ऐसे में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आगे आकर अंतिम संस्कार की पहल की. 67 साल की एक बुजुर्ग हिंदू महिला की मौत के बाद जब उसके परिवार में अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था तो उसे मां की तरह प्रेम करने वाले जंगी चौक गांधी नगर के मुस्लिम युवा आगे आए. उन्होंने ना सिर्फ बुजुर्ग महिला की अर्थी को कंधा देकर शमशान तक पहुंचाया बल्कि हिंदू रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार भी किया और अजगर अली ने उन्हें मुखाग्नि दी.

गांधी नगर निवासी निसार सिलावट ने जानकारी देते हुए बताया कि शहर के गांधीनगर, जंगी चौक के पास गली में सलीम कुरेशी के मकान में लगभग 15 वर्षों से अकेली बुजुर्ग औरत शांति देवी (67) रहे रही थी. शांति देवी काफी समय से बीमार चला रही थीं और जिले के सबसे बड़े हॉस्पीटल महात्मा गांधी हॉस्पिटल में इलाजरत थी और उसकी देखभाल मुस्लिम समाज के असगर अली कर रहे थे.

14 सितम्बर 2025 को अलसुबह शांति देवी की उपचार के दौरान मौत हो गयी. ऐसे में शांति देवी की मौत के बाद सबसे बड़ी परेशानी यही थी कि उनकी अर्थी को कंधा कौन देगा? अंतिम संस्कार की रस्में कौन निभाएगा? गांधी नगर के जंगी चौक में शांति देवी को अपनी मां की तरह प्रेम करने वाले इलाके के मुस्लिम युवा अशफाक कुरैशी, शाकीस पठान, फिरोज कुरैशी कांचा, आबीद कुरैशी अजगर पठान, अशफाक, इनायत भाई जाबिद कुरैशी सहित मोहल्ले के लोग आगे आए और सभी ने मिलकर बुजुर्ग शांति देवी के लिए क्रियाकर्म की तैयारी की, फिर उनकी अंतिम यात्रा को कंधा देते हुए शमशान तक पहुंचाया. बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से किया गया.

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