- देश के जेलों में भैया दूज के अवसर पर बहनें अपने कैद भाइयों से मिलने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचती हैं.
- जेल प्रशासन बहनों की सुविधा के लिए तिलक सामग्री अंदर ले जाने की अनुमति और सुरक्षा व्यवस्था प्रदान करता है.
- जेलों में बहनें अपने भाइयों को तिलक कर मिठाई खिलाती हैं और उनके सुधार की कामना करती हैं.
Bhai Dooj: किसी की नजरों में वो चोर है, तो किसी की नजर में खूनी तो किसी की नजर में बलात्कारी. कानून की नजरों में भी वो दोषी है और गुनाह की सजा पाने के लिए जेल में है. समाज के लिए खतरा माने जाने वाले इन कैदियों के लिए बाहरी दुनिया के दरवाजे तो हमेशा के लिए बंद हो जाते हैं, मगर एक दरवाजा हमेशा खुला रहता है, वो है उनके अपने घर का. इन अपराधियों के कारण इनके परिवार के लोगों को भी समाज एक तरह से अलग-थलग कर देता है. अपनों के किए की सजा वो खुद भी काटते हैं, मगर फिर भी उसका साथ नहीं छोड़ते. हर पर्व-त्योहार पर जेलों के सामने लंबी लाइनें इसकी गवाह हैं.
भाई दूज पर देश के सभी जेलों में एक सा नजारा था. जेल के बाहर तक लंबी लाइनें थीं. बहनें अपने भाइयों को अकाल मौत से बचाने के लिए जेल तक पहुंच गईं. भाई चाहे जैसा भी हो, है तो भाई. यही एक कारण था कि इन बहनों को वहां जाने में भी हिचक नहीं हुई, जहां एक आदमी जाने के लिए सोचने से भी हिचकता है. खास बात ये है कि ये कैदी चाहे कितने भी बदमाश हों पर जेल में आने वाली बहनों को कभी घूरते नहीं. कभी अश्लील बातें नहीं करते. उनको तो बस हर लड़की और महिला में भैया दूज के दिन अपनी बहन दिखती है. जेल की काल-कोठरी और पत्थरों के बीच अपनों को देख एक बार को वो भी शरीफ हो जाते हैं.
गुरुवार को यूपी के फ़िरोज़ाबाद जिला कारागार का माहौल भावनाओं से भर उठा. जेल में बंद भाइयों से मिलने आई बहनों ने परंपरागत रीति से तिलक कर मिठाई खिलाई और उनके मंगल की कामना की. लंबे समय बाद अपने भाइयों से मिलने पर कई बहनों की आंखें नम हो गईं, तो वहीं भाइयों ने भी अपनी बहनों का आशीर्वाद लेकर भावुकता से उन्हें विदा किया. जिला कारागार अधीक्षक अमित चौधरी ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी भैया दूज का पर्व जेल परिसर में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया. बड़ी संख्या में बहनें अपने बंदी भाइयों को तिलक करने जेल पहुंचीं. उन्होंने बताया कि बहनों को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए विशेष बैरिकेटिंग और सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.
जेल प्रशासन की ओर से हेल्प डेस्क भी स्थापित की गई, जहां आने वाली बहनों को हर संभव सहायता प्रदान की गई. इसके साथ ही बहनों को तिलक सामग्री जैसे रोली, अक्षत, मिठाई और नारियल आदि अंदर ले जाने की अनुमति दी गई, ताकि वे अपने भाइयों के साथ पारंपरिक तरीके से त्योहार मना सकें. कारागार अधीक्षक अमित चौधरी ने बताया कि जेल में ऐसे अवसरों पर प्रशासन कोशिश करता है कि बंदियों को पारिवारिक और सामाजिक संबंधों से जोड़ा जा सके, जिससे उनमें सुधार की भावना जागे और वे समाज की मुख्यधारा से दोबारा जुड़ सकें.
मुरादाबाद ज़िला कारागार में जेल प्रशासन ने ‘मिलाई दिवस' आयोजित कर विशेष इंतज़ाम किए. सुबह से ही बहनों का तांता लगा रहा. भावनात्मक माहौल में हुई इस मुलाकात के दौरान कई बहनों की आंखें खुशी के आंसुओं से भर आईं. जेल प्रशासन ने इस मौके पर पंडाल, कुर्सियों, जलपान और ठंडे पानी की व्यवस्था की थी.
जाहिर सी बात बहनों से मिलकर इन कैदियों को अच्छा ही लगा होगा, मगर इनमें से कुछ ही होंगे जो अपनी जेल की सजा पूरी करने के बाद अपराध से दूरी बनाएंगे. खुद से वादा करेंगे कि उनके कारण कभी उनकी बहनों और मां को जेल न आना पड़े. ये कहानी जेल से बाहर के अपराधियों, मनचलों, दबंगों और दूसरों को परेशान करने वालों या बात-बात पर गुस्से में आने वालों के लिए भी एक सबक है. क्या वो अपनी आदत में सुधार करना चाहेंगे या फिर चाहेंगे कि उनकी मां और बहनें जेल में उनसे मिलने पहुंचे.