बेंगलुरु: कोरोना मरीजों के लिए वरदान साबित हुई गुड क्वेस्ट की 'फूड टू योर डोरस्टेप' मुहिम

कोरोना मरीजों के लिए बेंगलुरू की गुड क्वेस्ट संस्था ने सराहनीय कदम उठाया है. बेंगलुरु स्थित एनजीओ ने मरीजों के लिए 'फूड टू योर डोरस्टेप' मुहिम की शुरुआत की है. 

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कोरोना मरीजों के लिए मददगार बना गुड क्वेस्ट .

बेंगलुरु:

महामारी के इस दौर में कोरोना के मामूली लक्षण वाले मरीजों के लिए अस्पताल में जगह मिलना मुश्किल है. ऐसे में उन्हें अपने घरों में आइसोलेट होना पड़ रहा है. इन मरीजों के सामने सबसे बड़ी समस्या हेल्दी डाइट की देखने को मिली है. कोरोना संक्रमित होने के बाद थकान के चलते ये अपनी देखभाल ढंग से नहीं कर पाते. ऐसे ही मरीजों के लिए बेंगलुरू की गुड क्वेस्ट संस्था ने सराहनीय कदम उठाया है. बेंगलुरु स्थित एनजीओ ने मरीजों के लिए 'फूड टू योर डोरस्टेप' मुहिम की शुरुआत की है. 

इस संस्था द्वारा शहर के अलग-अलग हिस्सों में रसोई घर स्थापित कर घरों में आइसोलेट कोविड रोगियों और उनके परिवारों के लिए ताजा पौष्टिक खाना तैयार किया जा रहा है. गुड क्वेस्ट फाउंडेशन के निदेशक संतोष कुमार ने NDTV को बताया, "हम युवा लोगों का एक समूह है. इस समूह में बेंगलुरू के कामकाजी पेशेवर छात्र, उद्यमी, सरकारी क्षेत्र के लोग शामिल हैं. हम सभी इस समय जरूरतमंद लोगों की सेवा में समान विचारधारा के साथ काम कर रहे हैं. हमारे प्रोजेक्ट का नाम फ़ूड टू योर डोरस्टेप है. हम उन रोगियों की सेवा कर रहे हैं जो होम आइसोलेशन में हैं, जिन्हें अस्पताल में बिस्तर नहीं मिल रहा है, जो अपने लिए खाना बनाने के लिए रसोई तक नहीं पहुंच सकते हैं. हम दोपहर और रात का खाना उपलब्ध करा रहे हैं और लोगों के घरों तक अपनी सेवा दे रहे हैं."

एनजीओ से जुड़े रसोई में काम करने वाले अभिजीत ने बताया, "हम सभी कोविड रोगियों और उन परिवारों के लिए भोजन के पैकेट पैक कर रहे हैं जो वर्तमान में अपने लिए खाना बना पाने में सक्षम नहीं हैं." 

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शहर भर में प्रतिदिन 1000 से अधिक खाने के पैकेट की सप्लाई की जा रही है. इस पैकेट में लोगों को चपाती, चावल, सब्जियां और सांभर दिया जाता है और कभी-कभी लोगों की जरूरत के आधार पर उन्हें अंडे और फल भी दिए जाते हैं. यह सब मरीजों और उनके परिवारों के लिए नि:शुल्क है.

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रेहाना ने NDTV को बताया कि वह दो सप्ताह से एनजीओ की सेवा ले रहीं हैं. उन्हें उनके दोस्त ने इस एनजीओ के बारे में बताया था. रेहाना ने कहा, "मैं, मेरी मां, पिताजी काम करने व घर से बाहर निकलने की स्थिति में नहीं थे. तो मेरे दोस्त ने कहा कि वह घर से खाना भेज देगी. मैंने कहा 'ऐसा मत करो. लोग हमारे दरवाजे के पास आने से भी डरते हैं." उसने यह व्यवस्था की है. 

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एक अन्य लाभार्थी फ्रैंक ने अपनी बहन से इस सेवा के बारे में सुना. उन्होंने कहा, "इस पहल ने वास्तव में हमारी मदद की है क्योंकि इस कठिन परिस्थिति में हमारे लिए खाना बनाना या अपना ख्याल रखना मुश्किल है. यह वास्तव में हमारे लिए मददगार है." बता दें कि गुड क्वेस्ट संस्था दवाओं के वितरण में भी मदद करती है.

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लॉटोलैंड आज का सितारा श्रृंखला में हम साधारण नागरिकों और उनके असाधारण कार्यों को दिखाते हैं. गुड क्वेस्ट फाउंडेशन को सहयोग देते हुए लॉटोलैंड उन्हें 1 लाख रुपये का नकद प्रोत्साहन देगा.

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