क्या अमित शाह नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) का रोडमैप आज लोगों के सामने रखेंगे. बंगाल का मटुआ समुदाय तो यही उम्मीद कर रहा है. समुदाय ये चाहता है कि उनकी नागरिकता को लेकर स्थिति साफ़ है. पारंपरगत रूप से ये समुदाय बीजेपी (BJP) समर्थक रहा है. गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) आज उनके होम टाउन ठाकुरनगर में रैली करने जा रहे हैं. कोलकाता में मटुआ बिरादरी का जलसा, इनमें से ज़्यादातर यहां से 70 किलोमीटर दूर ठाकुरनगर में होंगे ये सुनने के लिये कि अमित शाह CAA पर क्या बोलने वाले हैं. बीजेपी समर्थक मटुआ बिरादरी के सब्र का बांध अब टूट रहा है.
हरिदास बिस्वास नाम के स्थानीय ने कहा, हम चाहते हैं कि CAA पर अमल हो, वोटिंग से पहले या बाद में ये मेरे हाथ में नहीं है, इस पर अमल में वक्त लगेगा लेकिन ये होगा, हमको पूरी उम्मीद है. वहीं, अर्जुन मल्लिक नाम के एक अन्य स्थानीय ने कहा, ये सब वोटों की राजनीति है. ये असम में हुआ, ये बंगाल में हो रहा है. अमित शाह ने क्या कहा.
इज़राइली दूतावास के बाहर ब्लास्ट के बाद जब 30 जनवरी को अमित शाह की रैली नहीं हुई तो ठाकुरनगर में प्रदर्शन हुए थे. बीजेपी के मटुआ सांसद के पास कोई जवाब नहीं था और उनके तृणमूल के विरोधी सवाल उठा रहे थे. ममता बनर्जी का कहना है कि CAA की ज़रूरत नहीं है, सारे मटुआ भारतीय नागरिक हैं.
मटुआ से बीजेपी सांसद शांतनु ठाकुर ने कहा कि संसद सत्र के बीच में वो वक्त निकालकर आ रहे हैं. वहीं, मटुआ से पूर्व तृणमूल सांसद ममताबाला ठाकुर ने कहा कि ये मटुआ बिरादरी के साथ धोखा है. उन्होने नागरिकता का वादा किया, लेकिन नहीं दी.
क्यों अहम है मटुआ वोट?
बंगाल में 27 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति और जनजाति की है, इनमें मटुआ बिरादरी का अच्छा खासा हिस्सा है. ये लोग बंगाल की 294 विधानसभा सीटों में से 70 सीटों के नतीजों पर असर डाल सकते हैं. बीजेपी इनके ज़रिये अल्पसंख्यक वोटों की कमी पूरा करना चाहती है जो ममता बनर्जी के साथ हैं. परिमल बाला, जो पहले बैंक में काम करते थे, वो भी इस राय से इत्तेफाक रखते हैं. उनका कहना है, 'उनको मुस्लिम वोट नहीं मिलते तो बाकी के 70 फीसदी वोटों में से उनको एससी, एसटी वोटों की ज़रूरत है. मटुआ बिरादरी के समर्थन के बिना वो नहीं जीत सकते हैं.'