निडरता, मेहनत और... : बांसुरी स्वराज ने बताया मां सुषमा स्वराज से क्या मिली बड़ी सीख?

सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज की NDTV के साथ खास यादें भी जुड़ी हुई हैं. उन्होंने NDTV के ऑफिस में इंटर्नशिप की थी. बांसुरी स्वराज कहती हैं, "मेरी जिंदगी की पहली नौकरी NDTV में थी. मैंने यहां के स्टूडियो में बहुत सारे वायर्स किए हैं. इंटर्नशिप के लिए मुझे 3000 रुपये का पे चेक भी मिला था."

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बांसुरी ने साफ किया कि वो अपनी मां की वजह से राजनीति में नहीं आईं.

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के लिए इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने नई दिल्ली सीट से मौजूदा सांसद मिनाक्षी लेखी का टिकट काटकर बांसुरी स्वराज (Bansuri Swaraj) को मैदान में उतारा है. बांसुरी स्वराज दिवंगत बीजेपी नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) की बेटी हैं. बांसुरी पेशे से एडवोकेट हैं. लोकसभा से पहले बांसुरी ने NDTV संग खास बातचीत करते हुए कई मुद्दों पर खुलकर बात की. बांसुरी स्वराज ने एनडीटीवी संग बातचीत में बताया कि राजनीति की दुनिया में उन्होंने कैसे कदम रखा और उन्होंने अपनी मां से क्या कुछ सीखा.

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राजनीति में कैसे हुईं बांसुरी की एंट्री

NDTV संग खास बातचीत में बांसुरी ने कहा कि मैं लगभग एक दशक से वकील के रूप में अपनी पार्टी के लिए काम कर रही थी. इसी दौरान मुझे एक दिन अचानक फोन आया. जिसमें कहा गया कि हम दिल्ली बीजेपी टीम में लीगल टीम का विस्तार कर रहे हैं और हम ये चाहते हैं कि आप हमसे जुड़े और अपनी जिम्मेदारी संभालें. यह लगभग एक साल पहले की बात है. फिर मुझे दिल्ली बीजेपी का सेक्रेटरी बनाया गया. इसके बाद टीवी के जरिए मालूम हुआ कि मुझे नई दिल्ली लोकसभा सीट से कैंडिडेट बनाया गया है.

बांसुरी ने कहा कि मेरे माता-पिता दोनों लीगल प्रोफेशन में थे और पॉलिटिक्स में भी थे. ऐसे मैं शुरुआत से ही इन दोनों चीजों को लेकर काफी गंभीर थी. मेरी सुबह की शुरुआत एक गिलास दूध के साथ अखबार पढ़ने से होती थी. राजनीतिक घटनाओं को लेकर मेरी दिलचस्पी बचपन के शुरुआती दिनों से ही रही है. बांसुरी ने ये भी साफ किया कि वो अपनी मां सुषमा स्वराज की वजह से राजनीति में नहीं आई. मैं लगभग एक दशक से अपना खुद का चैंबर चला रही हूं, इसलिए मैं बहुत आभारी हूं कि पार्टी ने पहले एक वकील के रूप में मेरी शक्ति या मेरी क्षमता का उपयोग किया.

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मां से बांसुरी ने क्या सीखा

बासुंरी ने कहा कि मैंने अपनी मां से निडर होना होना सीखा. साथ ही ये भी जाना कि हमें अपना सर्वश्रेष्ठ देकर बाकी सब भगवान पर छोड़ देना चाहिए. खासकर भगवान कृष्ण पर. इससे आपकी लाइफ आसान हो जाती है. यदि आप लाइफ को मापदंडों में जीते हैं, तो कुछ भी आपको प्रभावित नहीं करता है. मैंने मां के जाने के बाद राजनीति की दुनिया में कदम रखा. मेरे पास एबीवीपी कार्यकर्ता का अनुभव है.

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वशंवाद की राजनीति पर बांसुरी की राय

ऐसा नहीं है कि मां की वजह से मुझे राजनीति में आने का मौका मिला. मेरी मां एक जन प्रतिनिधि थीं, इसका मतलब यह नहीं है कि राजनीति मेरे लिए नहीं है. मुझे किसी भी अन्य कार्यकर्ता के समान संघर्ष करने, प्रयास करने और समान अवसर दिया जाना चाहिए.

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इंडिया अलायंस और बीजेपी के संकल्प पत्र में क्या अंतर

बांसुरी ने साथ ही कांग्रेस पार्टी या गठबंधन की अन्य पार्टियों के घोषणापत्र को पीछे ले जाने वाला बताया. टीएमसी ने भी घोषणापत्र भी जारी किया. लेकिन कांग्रेस पार्टी का घोषणापत्र काफी पीछे ले जाने वाला है. वे अब भी देश को धर्म, क्षेत्र और भाषा के आधार पर बांटने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि हमारा संकल्प पत्र एक प्रतिज्ञा है. जो कि भविष्य का घोषणापत्र है.

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हमारी पार्टी दृष्टिकोण को देखें तो पीएम मोदी वास्तव में बुनियादी ढांचे के विकास, भौतिक बुनियादी ढांचे, सामाजिक बुनियादी ढांचे और डिजिटल बुनियादी ढांचे के बारे में बात करते हैं. वह ऐसे भारत को बनाने की बात करते हैं, जो इनोवेशन, इंडस्ट्री, विनिर्माण, तकनीक और स्टार्टअप का केंद्र हों. यदि आप महिला सशक्तिकरण के बारे में बात करते हैं, तो हम प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने और इसे महिलाओं के हाथों में सौंपने के बारे में बात कर रहे हैं. महिलाएं हमेशा कृषि अर्थव्यवस्था और ग्रामीण समाज का हिस्सा रही हैं.

असल जब आप वास्तव में उनके हाथों में ड्रोन देते हैं और आप यह सुनिश्चित करते हैं कि वे ड्रोन पायलट बनने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाएं, तो यह सिर्फ इतना नहीं है कि आप आर्थिक सशक्तीकरण के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठा रहे हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि लोगों में भी बदलाव आए.

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