बेंगलुरु भगदड़: कौन था कहां? पुलिस अधिकारियों की ट्रैकिंग शुरू, होंगे कई खुलासे

स्टेडियम के बाहर भीड़ को नियंत्रित करते हुए डीसीपी नॉर्थ डिवीजन सैदुलु अदावत देखे गए. भगदड़ को संभालने की कोशिश के दौरान वह घायल भी हो गए और दो दिन अस्पताल में भर्ती रहे.

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बेंगलुरु:

चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ के दौरान कौन पुलिस अधिकारी किस जगह पर था, इसकी सटीक लोकेशन अब ट्रैक की जा रही है. इस जांच का मकसद यह जानना है कि जब विधान सभा और स्टेडियम के बाहर लाखों की भीड़ जमा हो रही थी, तब पुलिस व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारी सब-इंस्पेक्टर से लेकर एसीपी, डीसीपी, डीआईजी, एडिशनल कमिश्नर और पुलिस कमिश्नर तक कहां तैनात थे.

साथ ही, शहर के अन्य ज़ोन से बुलाए गए “ऑन स्पेशल ड्यूटी” अधिकारी उस वक्त कहां मौजूद थे, इसकी जानकारी भी लोकेशन ट्रैकिंग के ज़रिए एकत्र की जा रही है. यह डेटा CID की जांच रिपोर्ट का अहम हिस्सा बनेगा.

तस्वीरों से ये तो स्पष्ट है कि भगदड़ के वक्त पुलिस कमिश्नर बी. दयानन्द विधान सभा में मुख्यमंत्री, अन्य मंत्रियों और खिलाड़ियों के साथ मौजूद थे. वहीं एडिशनल पुलिस कमिश्नर (क़ानून व्यवस्था) विकाश कुमार स्टेडियम के भीतर लगभग 35,000 की भीड़ को नियंत्रित करने में लगे थे. उन्हें बेंगलुरु साउथ डिवीजन के डीसीपी लोकेश बी. जागलसर सहायता कर रहे थे. 

स्टेडियम के बाहर भीड़ को नियंत्रित करते हुए डीसीपी नॉर्थ डिवीजन सैदुलु अदावत देखे गए. भगदड़ को संभालने की कोशिश के दौरान वह घायल भी हो गए और दो दिन अस्पताल में भर्ती रहे. यह बात साफ है कि पुलिस अधिकारियों ने हादसा रोकने की भरपूर कोशिश की, लेकिन हादसा हुआ और उसकी ज़िम्मेदारी बहुत हद तक पुलिस कमिश्नर बी. दयानन्द की बनती है. 

1,500 के आसपास पुलिसकर्मियों की थी तैनाती

मुद्दा फोर्स की तैनाती और सही समय पर उनके मोबिलाइज़ेशन का है. बेंगलुरु पुलिस की कुल प्रभावी संख्या लगभग 15,000 है, लेकिन मौके पर सिर्फ 1,500 के आसपास पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई.  ये बात कर्नाटक सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल ने  High में कही.   कर्नाटक स्टेट रिजर्व पुलिस की बटालियन शहर में मौजूद थी, लेकिन उसे ड्यूटी पर नहीं लगाया गया। इसी तरह सिटी आर्म्ड रिजर्व फोर्स, सिविल डिफेंस, होम गार्ड्स और ट्रैफिक वार्डन को भी ड्यूटी पर नहीं बुलाया गया. साथ हो सेंट्रल फोर्सेज का भी इस्तेमाल नहीं हुआ. ऐसे में पुलिस कमिश्नर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना स्वाभाविक है. हालांकि ये भी सच है कि RCB की जीत के बाद सुबह 5 बजे तक पुलिसकर्मी फैंस को नियंत्रित करने में लगे थे. 

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया हैं नाराज

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, जो खुद विधान सभा में पुलिस कमिश्नर के साथ मौजूद थे, इस बात से खासे नाराज़ बताए जा रहे हैं कि उन्हें भगदड़ और मौतों की जानकारी समय पर नहीं दी गई. एक तरफ भगदड़ मची थी, लोगों की जान जा रही थी और इससे अंजान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया विधान सभा में खिलाड़ियों को सम्मानित कर रहे थे. मुख्यमंत्री लेट डेथ रिपोर्टिंग की वजह बहुत नाराज़ हुए. गाज पुलिस कमिश्नर और उनकी टीम पर गिरी.

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इस पूरे मामले में सस्पेंड हुए अधिकारियों में से एक, एडिशनल पुलिस कमिश्नर (क़ानून व्यवस्था) विकाश कुमार ने अपने निलंबन को लेकर सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में चुनौती दी है. नियम के अनुसार, यदि एक महीने के भीतर केंद्र सरकार आईपीएस अधिकारी के निलंबन को मंज़ूरी नहीं देती, तो निलंबन स्वतः समाप्त हो जाता है. 

बुधवार दोपहर 3:27 पर बेंगलुरु पुलिस का एक मैसेज मीडिया व्हाट्सएप ग्रुप में जारी किया गया, जिसमें साफ़ लिखा था: "अब भी विजय परेड को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है. अगर यह होती है तो हमने तैयारियां कर रखी हैं."

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इससे साफ़ है कि आखिर समय तक सरकार और पुलिस अधिकारियों के बीच बातचीत जारी थी. वहीं RCB टीम होटल पहुंच चुकी थी और विधान सभा में कार्यक्रम शुरू होने ही वाला था. 

सूत्र बताते हैं कि पुलिस कमिश्नर बी. दयानन्द ने इस आयोजन के लिए जल्दबाज़ी में सुरक्षा बंदोबस्त करने से इनकार किया था और कम से कम दो दिन की तैयारी का वक्त मांगा था. लेकिन डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार गोविंद राजू की सक्रियता और मुख्य सचिव शालिनी रजनीश की चुप्पी के चलते उन्होंने ज्यादा विरोध न करना ही बेहतर समझा होगा. खासकर इसलिए क्योंकि उन्हें इसी वर्ष अगस्त में DGP रैंक पर प्रमोशन मिलने की संभावना है.  जहां एक ओर पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिरी, वहीं कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को दिल्ली तलब किया और खबरों के मुताबिक कड़ी फटकार भी लगाई. 

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