तंगहाली से खुशहाली की कहानी है बनासकांठा... अमित शाह की जुबानी जानिए कैसे बदली किसानों की दशा

अमित शाह ने बताया कि किसानों के लिए तीन नई राष्ट्रीय को-ऑपरेटिव सोसाइटी बनाई गई हैं –  बीज उत्पादन एवं वितरण के लिए, जैविक उत्पादों की मार्केटिंग के लिए और कृषि निर्यात के लिए.

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  • अमित शाह ने गुजरात के वाव-थराद में बनास डेयरी के बायो सीएनजी और फर्टिलाइजर प्लांट का उद्घाटन किया
  • बनासकांठा में सहकारी डेयरी क्षेत्र का कारोबार आज 24 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है
  • सरकार ने खेती से जुड़ी छह राष्ट्रीय को-ऑपरेटिव सोसाइटियां बनाई हैं, जो किसानों को व्यापक लाभ देंगी
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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात के वाव-थराद जिले में बनास डेयरी द्वारा नवनिर्मित बायो सीएनजी और फर्टिलाइजर प्लांट का उद्घाटन किया. इसके साथ ही 150 टन के पाउडर प्लांट का शिलान्यास करते हुए कहा कि बनासकांठा में बनास डेयरी की शुरुआत करने वाले गलबाभाई नानजीभाई पटेल ने जो यात्रा शुरू की थी, वह धीरे-धीरे बढ़ते-बढ़ते इस मुकाम पर पहुंच गई है कि आज यहां 24 हजार करोड़ रुपये तक का कारोबार हो रहा है.  उन्होंने कहा कि वह देश भर में जहां भी जाते हैं, वहां गर्व से कहते हैं कि गुजरात के गांवों को समृद्ध बनाने का काम गुजरात की माताओं-बहनों ने किया है. यहां के किसान भाइयों, विशेष रूप से सहकारी आंदोलन के अगुआ लोगों, गांव की दूध मंडलियों के चेयरमैन और बनास डेयरी के डायरेक्टर्स को शायद पता भी न हो कि उन्होंने कितना बड़ा चमत्कार कर दिखाया है. उन्होंने कहा कि 24 हजार करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी करना बड़े-बड़े कॉर्पोरेट्स के लिए भी पसीना छुड़ाने वाला काम होता है, लेकिन बनासकांठा की बहनों और किसानों ने देखते-ही-देखते 24 हजार करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर दी.

कभी अकाल से त्रस्त थे

अमित शाह ने कहा कि आगामी जनवरी में पूरे देश की सभी डेयरियों के लगभग 250 चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर बनासकांठा के सहकारी डेयरी क्षेत्र में हुए चमत्कार को अपनी आंखों से देखने आ रहे हैं. 1985-87 के अकाल के बाद जब वह इस इलाके में आते थे और किसानों से पूछते थे तो बताया जाता था कि वह पूरे साल में सिर्फ एक फसल उगा पाते हैं, लेकिन अब बनासकांठा का किसान एक साल में तीन-तीन फसल उगाता है. मूंगफली भी उगाता है, आलू भी उगाता है, गर्मियों में बाजरा भी बोता है और खरीफ की फसल भी लेता है, जबकि पच्चीस साल पहले बनासकांठा में तीन फसल की खेती करना एक स्वप्न मात्र था.

जमीन को स्वर्ग बनाया

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के उन इलाकों से यहां पानी की उपलब्धता कराने का काम किया, जहां पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध था. सुजलाम-सुफलाम योजना के तहत नर्मदा और माही नदी का अतिरिक्त पानी बनासकांठा पहुंचा. पहले यहां का किसान दूसरों के खेतों में मजदूरी करता था. आज उसी किसान ने अपनी जमीन को स्वर्ग बना दिया और पूरे बनासकांठा को समृद्ध बना दिया.

रिसर्च होगा

अमित शाह ने कहा कि हमारी यह परंपरा या आदत नहीं रही कि कोई बड़ा काम करने पर उसका पूरा दस्तावेजीकरण किया जाए या उसका इतिहास लिखा जाए, लेकिन उन्होंने दो विश्वविद्यविद्यालयों को जिम्मेदारी सौंपी है कि वे बनासकांठा और मेहसाणा में जल-संचय तथा पानी के माध्यम से आई समृद्धि और लोगों के जीवन में आए परिवर्तन पर विस्तृत रिसर्च करें. बनासकांठा का यह परिश्रम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा और पूरे देश के ग्रामीण विकास के इतिहास में एक प्रेरणास्त्रोत बनकर उभरेगा. उन्होंने कहा कि खुशी की बात यह है कि इस परिश्रम में महिलाओं का बड़ा योगदान है. 

आगे सरकार का प्लान

केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमें अब डेयरी के साथ-साथ बायोगैस बनाने की शुरुआत करनी है, बायो-सीएनजी बनाने की शुरुआत करनी है. अब समग्र भारत की को-ऑपरेटिव डेयरियां पशु आहार भी बाजार से नहीं खरीदेंगी. उसे भी को-ऑपरेटिव स्तर पर ही बनाया जाएगा और पशु आहार बनाने से जो लाभ होगा, वह भी सीधे हमारी बहनों के बैंक खाते में पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि इस पूरी व्यवस्था के लिए टेक्नोलॉजी भी चाहिए, फाइनेंस भी चाहिए – यह सब भारत सरकार ने मोदी जी के नेतृत्व में तैयार कर दिया है.

छह को-ऑपरेटिव करेंगी काम

अमित शाह ने बताया कि किसानों के लिए तीन नई राष्ट्रीय को-ऑपरेटिव सोसाइटी बनाई गई हैं –  बीज उत्पादन एवं वितरण के लिए, जैविक उत्पादों की मार्केटिंग के लिए और कृषि निर्यात के लिए. वहीं, डेयरी क्षेत्र के लिए तीन राष्ट्रीय स्तर की को-ऑपरेटिव बनाई गई हैं. ये कुल छह को-ऑपरेटिव संस्थाएं मिलकर अब खेती से जुड़ा हर काम करेंगी – चाहे Cheese बनाना हो, प्रोटीन बनाना हो, डेयरी व्हाइटनर, मावा, आइसक्रीम, बेबी फूड बनाना हो; तेल की पैकेजिंग, आटा, शहद, कोल्ड स्टोरेज, आलू चिप्स, बीज उत्पादन या पशु आहार बनाना हो – सारी चीजें डेयरी की इकोनॉमी के अंतर्गत आएंगी और उसका पूरा लाभ पशुपालक के खाते में पहुंचे, यह भारत सरकार का स्पष्ट और मजबूत प्लान है.

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