विदेश नीति पर दुनिया को "ज्ञान देने" से बचें : संसद में विदेश मंत्री की नसीहत

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jai Shankar) ने विपक्ष से विदेश नीति पर दुनियाभर को ज्ञान न देने की बात कही दी है. उन्होनें सोमवार को कहा कि सरकार अपनी कूटनीति में "बहुत, बहुत केंद्रित" है.

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मंत्री ने कहा कि कई अन्य देशों में विशिष्ट कानून हैं.
नई दिल्ली:

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jai Shankar) ने विपक्ष से विदेश नीति पर दुनियाभर को ज्ञान न देने की बात कही दी है. उन्होनें सोमवार को कहा कि सरकार अपनी कूटनीति में "बहुत, बहुत केंद्रित" है. जयशंकर ने कहा कि भारत को अपने राष्ट्रीय हितों को प्रभावी ढंग से देखना चाहिए और विदेश नीति पर दुनिया को ज्ञान देने के बारे में कम चिंतित होना चाहिए. लोकसभा में बुधवार को जन विनाश और उनकी वितरण प्रणाली संशोधन विधेयक, 2022 पर बहस हुई. इस दौरान मंत्री ने कहा कि मौजूदा कानून में कुछ गायब है, जिसे ठीक करने की जरूरत है.

इस दौरान सदस्यों द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर विदेश मंत्री ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता के लिए चीन के विरोध पर भी परोक्ष रूप से चर्चा की . 
उन्होंने कहा, "एक ऐसा कारण है, जिसे आप में से बहुत से लोग जानते हैं कि सर्वसम्मति क्यों नहीं बन पा रही है. ऐसे देश हैं जो इसे लेकर वास्तव में चिंतित हैं और जिस पर वे बहस करना चाहते हैं. ऐसे देश भी हैं, जिनके पास एजेंडा है और आम सहमति के लिए अवरोध पैदा कर रहे हैं. इस हालात पर हम काम कर रहे हैं."

उन्होंने कहा कि आज की वैश्विक परिस्थितियों में हमारा मानना है कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों व सभी की क्षेत्रीय अखंडता एवं सम्प्रभुता का सम्मान करना चाहिए. यूक्रेन की स्थिति के संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा, ''भारत ने अगर कोई पक्ष चुना है, तो वह शांति का पक्ष है. हम तत्काल हिंसा समाप्त करने के पक्ष में हैं. यह रुख संयुक्त राष्ट्र सहित सभी मंचों पर हमने रेखांकित किया है.''

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 जयशंकर ने एक विपक्षी सदस्य के इस आरोप को खारिज कर दिया कि भारत की कूटनीति "निष्क्रिय" थी. उन्होंने बहस के दौरान पूर्व रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मेनन का उल्लेख करने वाले एक सदस्य का भी जिक्र किया. 

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