बॉलीवुड अभिनेता सनी देओल के बंगले की ई-नीलामी को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने नजर आ रही है. कांग्रेस ने बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा भाजपा सांसद और अभिनेता सनी देओल के बंगले की ई-नीलामी संबंधी नोटिस को कथित तौर पर वापस लिए जाने को लेकर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने पूछा कि आखिर ‘तकनीकी कारणों' का हवाला देने के लिए बैंक को किसने प्रेरित किया...?
बैंक को 56 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर लिखा, "कल दोपहर को देश को पता चला कि बैंक ऑफ बड़ौदा ने भाजपा सांसद सनी देओल के जुहू स्थित आवास को ई-नीलामी के लिए रखा है, क्योंकि उन्होंने बैंक को 56 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है. आज सुबह 24 घंटे से भी कम समय में देश को पता चला कि बैंक ऑफ बड़ौदा ने ‘तकनीकी कारणों' से नीलामी नोटिस वापस ले लिया है." उन्होंने सवाल किया, "आखिर इन ‘तकनीकी कारणों' का हवाला देने के लिए किसने प्रेरित किया?"
25 अगस्त को ऑनलाइन माध्यम से की जानी थी नीलामी
बैंक ऑफ बड़ौदा ने 56 करोड़ रुपये की वसूली के लिए सनी देओल की संपत्ति को नीलामी के लिए रखा था. यह नीलामी 25 अगस्त को ऑनलाइन माध्यम से की जानी थी. खबरों के अनुसार, सनी देओल के बंगले की ई-नीलामी के नोटिस को वापस ले लिया गया है. बैंक ऑफ बड़ौदा ने आज एक बयान में कहा, "अजय सिंह देयोल उर्फ सनी देयोल के संबंध में बिक्री नीलामी नोटिस के संबंध में ई-नीलामी नोटिस का शुद्धिपत्र तकनीकी कारणों से वापस ले लिया गया है." इससे पहले बैंक ने रविवार को कहा था कि सनी विला के नाम से मशहूर जुहू की संपत्ति की नीलामी 51.43 करोड़ रुपये से शुरू होगी. न्यूनतम बोली राशि ₹ 5.14 करोड़ निर्धारित की गई थी.
देओल्स से जुड़ी अन्य संपत्तियों को भी नीलाम करने की थी तैयारी
बता दें कि जुहू के बंगले के अतिरिक्त, 599.44 वर्ग मीटर की संपत्ति, जिसमें सनी विला और सनी साउंड्स हैं, को भी नीलाम करने की तैयारी थी. सनी साउंड्स देओल्स के स्वामित्व वाली कंपनी है और यह ऋण के लिए कॉर्पोरेट गारंटर है. सनी देओल के अभिनेता-राजनेता पिता धर्मेंद्र निजी गारंटर हैं. रविवार को नोटिस में कहा गया कि 2002 के SARFAESI अधिनियम के प्रावधानों के तहत नीलामी को रोकने के लिए देओल्स अभी भी बैंक के साथ अपने बकाया ऋण का निपटान कर सकते हैं.
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