तीसरी बार महिला के हाथ में होगी दिल्ली की कमान, सुषमा स्वराज रही थीं 52 दिन तक मुख्यमंत्री

स्वर्गीय सुषमा स्वराज पहली महिला थीं, जिन्हें देश की राजधानी की सत्ता की कमान मिली थी. दरअसल, 1998 में बीजेपी ने सुषमा स्वराज को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया था.

Advertisement
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग में भ्रष्टाचार करने के मामले में फंसे अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके साथ ही उन्होंने विधायक दल की बैठक में आतिशी का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया, जिसे सर्वसम्मति से सबने स्वीकार कर लिया. इसके बाद अब आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हैं. यहां आपको बता दें कि सबसे पहले स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने दिल्ली की मुख्यमंत्री का जिम्मा संभाला था. हालांकि, वह केवल 52 दिनों तक ही मुख्यमंत्री रही थीं. उसके बाद 15 साल तक स्वर्गीय शीला दीक्षित ने दिल्ली की कमान संभाली थी और अब आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी. 

52 दिनों तक ही दिल्ली की सीएम रही थीं सुषमा स्वराज

स्वर्गीय सुषमा स्वराज पहली महिला थीं, जिन्हें देश की राजधानी की सत्ता की कमान मिली थी. दरअसल, 1998 में बीजेपी ने सुषमा स्वराज को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया था. उनसे पहले साहिब सिंह वर्मा दिल्ली की सीएम थे लेकिन उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. हालांकि, सुषमा स्वराज के सीएम बनने के बाद ही विधानसभा चुनाव हो गए थे और इस वजह से वह 52 दिनों तक ही दिल्ली की सत्ता संभाल पाई थीं. विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी के हाथ केवल 15 सीटें ही आई थीं और कांग्रेस ने भारी बहुमत से जीत हासिल की थी. 

1998 में सीएम बनी थीं सुषमा स्वराज

सुषमा स्वराज ने 12 अक्टूबर 1998 से 3 दिसंबर 1998 तक 52 दिनों के लिए दिल्ली सरकार का नेतृत्व किया था. 1993 में मदन लाल खुराना और साहिब सिंह वर्मा के बाद भाजपा द्वारा दिल्ली का पहला विधानसभा चुनाव जीतने के बाद वे तीसरी मुख्यमंत्री थीं, उन्होंने बिना चुनाव लड़े ही पद संभाला था. सुषमा स्वराज सत्ता में दूसरी सबसे छोटी अवधि तक रहीं, आप नेता अरविंद केजरीवाल से कुछ ही दिन ज्यादा, जो कांग्रेस के समर्थन से पहली बार सत्ता में केवल 49 दिनों तक के लिए आए थे.

Advertisement

आतिशी संभालेंगी दिल्ली की कमान

यदि चुनाव आयोग आप की समय से पहले चुनाव कराने की मांग को स्वीकार कर लेता है, तो आतिशी कम से कम नवंबर तक सत्ता में रहेंगी और सुषमा स्वराज के रिकॉर्ड से कुछ अधिक दिनों तक सत्ता में रहेंगी. हालांकि, अगर चुनाव आयोग 23 फरवरी, 2025 को मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से कुछ समय पहले ही नए सदन के गठन का फैसला करता है, तो आतिशी का कार्यकाल लंबा होने की संभावना है. हालांकि यह अभी भी केवल कुछ महीनों का ही होगा. (इनपुट पीटीआई से भी)

Advertisement
Featured Video Of The Day
Haryana Elections 2024: Dushyant Chautala को कैसे हरियाणा की 'चाबी' दिलाएंगे Chandrashekhar Azad?