असम : सिलचर भीषण बाढ़ की चपेट में , खाने और पेयजल की कमी

असम (Assam) की बराक घाटी का प्रवेश द्वार सिलचर (Silchar) शहर भीषण बाढ़ (Flood) की चपेट में है और सोमवार से ही जलमग्न है. लोगों को बार-बार बिजली कटौती के अलावा भोजन एवं पेयजल की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है.

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सिलचर:

असम (Assam) की बराक घाटी का प्रवेश द्वार सिलचर (Silchar) शहर भीषण बाढ़ (Flood) की चपेट में है और सोमवार से ही जलमग्न है. लोगों को बार-बार बिजली कटौती के अलावा भोजन एवं पेयजल की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. सिलचर के लोकसभा सदस्य राजदीप रॉय ने गुरुवार को कहा कि सिलचर में पिछले सात दशकों में यह सबसे भीषण बाढ़ है. बराक घाटी के तीन जिले कछार, करीमगंज और हैलाकांडी गंभीर बाढ़ की चपेट में हैं. बराक और कुशियारा नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं जिससे छह लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं. कछार जिले के 565 गांवों में 2,32,002 और करीमगंज के 469 गांवों में 2,81,271 लोग प्रभावित हैं.

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने लगभग तीन लाख की आबादी वाले नगर का हवाई सर्वेक्षण किया और कुछ राहत शिविरों का दौरा किया. उन्होंने बृहस्पतिवार को जनप्रतिनिधियों और जिला अधिकारियों के साथ मौजूदा बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की. सिलचर शहर की दस वर्षीय श्रेया दास को पिछले हफ्ते राहत मिली थी जब कछार जिला प्रशासन ने लगातार बारिश के बाद स्कूलों को बंद करने की घोषणा की. लेकिन कक्षा चार की छात्रा को उस समय यह अनुमान नहीं था कि उसके परिवार को अगले कुछ दिनों में किस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.

बेटकुंडी में एक बांध के क्षतिग्रस्त होने से श्रेया और शहर के अधिकांश इलाकों में करीब दो लाख लोगों के घर जलमग्न हो गए. बांध रविवार को टूट गया, जिसके बाद पानी लोगों के घरों में घुस गया. इससे बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हो गई और बाढ़ प्रभावित लोग क्षेत्र से निकाले जाने का इंतजार कर रहे हैं. कॉलेज रोड क्षेत्र की स्कूल शिक्षक मंदिरा देब ने कहा, ‘‘चार दिनों से, हम बिजली और पीने के साफ पानी के बिना हैं और बाढ़ का पानी मेरे घर में घुस गया है, जिससे हमें ऊपरी मंजिलों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है. कम से कम, हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास तीन मंजिला घर है और हम घर के भीतर सुरक्षित स्थान पर जा सकते हैं.''

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बारिश के बाद बराक नदी का जलस्तर पहले से ही खतरे के निशान से ऊपर बह रहा था, लेकिन बांध टूटने से यह सोनाई रोड, रंगीरखरी, लिंक रोड, अंबिकापट्टी, आश्रम रोड, कॉलेज रोड, पब्लिक स्कूल रोड, फाटकबाजार, बेटकुंडी और शहर के अन्य क्षेत्रों के निचले इलाकों में घुस गया. कछार में 33,766 लोगों ने 258 राहत शिविरों में शरण ली है जबकि करीमगंज में 20,595 लोग 103 राहत शिविरों में हैं. सिलचर के सांसद ने गुरुवार को बिलपारा इलाके स्थित अपने घर के बाहर सड़क की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कीं, जो पूरी तरह से जलमग्न है और वाहनों का केवल ऊपरी हिस्सा दिखाई दे रहा है.

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शहर के अधिकांश निवासियों को भोजन और पीने के पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों द्वारा गुरुवार से भोजन के पैकेट गिराये जा रहे हैं.कछार की उपायुक्त कीर्ति जल्लीक ने लोगों से अनुरोध किया कि वे हेलीकॉप्टर की आवाज सुनकर भोजन के पैकेट के लिए छतों पर न जाएं. उन्होंने कहा, ‘‘भोजन के पैकेट केवल सपाट छत पर गिराये जा सकते हैं, ढलान वाली टिन की छतों पर नहीं क्योंकि पैकेट फट सकते हैं. मैं सपाट छत वाले लोगों से अपने पड़ोसियों के साथ खाने के पैकेट और पीने के पानी की बोतलें साझा करने का आग्रह करती हूं.''

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उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अधिकारियों, कर्मचारियों, व्यापारियों, चालकों और राहत कर्मियों सहित लगभग तीन लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और ऐसे में हम अधिकतम सुविधाएं देने में असमर्थ हैं. पीड़ित लोगों तक राहत पहुंचाने की समस्या के बावजूद, हमने अब तक 40,000 लीटर पानी, दूध के 24,000 डिब्बे, 10,000 क्विंटल चावल, दाल और तेल वितरित किया है.''

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उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को भोजन, दवाइयां और पानी के लिए अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं, और ‘‘हम लोगों को इन्हें उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.'' उपायुक्त ने कहा कि बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए सिलचर शहर के सबसे बुरी तरह प्रभावित इलाकों में चौबीस घंटे बड़े पैमाने पर बचाव अभियान और राहत अभियान जारी है. उन्होंने लोगों से धैर्य रखने और एनडीआरएफ, एसडीआरएफ कर्मियों और अन्य लोगों को अधिक से अधिक समर्थन देने की अपील की, जो चौबीस घंटे फंसे हुए लोगों को निकालने में लगे हुए हैं.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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