असम चुनाव मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट पार्टी को राहत देने से इनकार किया है. बताते चलें कि पार्टी ने तामुलपुर सीट पर मंगलवार को होने वाले मतदान को टालने की मांग की थी. दरअसल इस सीट पर बीपीएफ के उम्मीदवार बीजेपी में शामिल हो गए हैं. चुनाव आयोग ने पार्टी के चुनाव टालने की मांग को ठुकरा दिया था. जिसके बाद बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन उन्हें यहां से भी राहत नहीं मिली. कोर्ट ने मतदान टालने की अपील को खारिज कर दिया. असम विधानसभा चुनाव में तामुलपुर सीट से असम बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट पार्टी के उम्मीदवार रंगजा खुंगुर बासुमतरी मतदान से एक सप्ताह पहले और नामांकन वापस लेने की तारीख निकलने के बाद भाजपा में शामिल हो गए.
इस सीट पर मतदान आगे बढ़ाने की मांग के साथ बीपीएफ रविवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंची है.आपकी जानकारी के लिए बता दें कि तामुलपुर सीट पर असम विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण में मंगलवार को वोट डाले जाने हैं. बीपीएफ हाग्रामा मोहिलारी ने शुक्रवार को चुनाव आयोग को दूसरा खत लिखकर इस सीट से बीपीएफ का उम्मीदवार बदलने की इजाजत मांगी थी. उन्होंने पत्र में लिखा था, 'मेरी पार्टी के उम्मीदवार ने वोटिंग से कुछ दिन पहले ही दल बद लिया. अब वह BPF के चुनाव निशाना से वोट पाने के हकदार नहीं हैं. उन्होंने यह भी कहा कि नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख के बाद बासुमतरी का दल बदलना एक "धोखाधड़ी' है जिसने "चुनावों में निष्पक्षता का उल्लंघन किया.
उन्होंने कहा था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के हित में माननीय आयोग से अनुरोध है कि बीपीएफ को तामुलपुर से अपने उम्मीदवार को तुरंत बदलने की अनुमति देने पर विचार करें और पार्टी के प्रतीक को एक नए उम्मीदवार को आवंटित करें. दरअसल रंगजा खुंगुर बासुमतरी ने असम के मंत्री हेमंत बिस्वा और केंद्रीय नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में भाजपा ज्वाइन की थी. बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट पहले भाजपा की ही सहयोगी पार्टी थी. बीपीएफ ने भाजपा का साथ छोड़कर फरवरी कांग्रेस का साथ पकड़ लिया था. इस पर बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने चुनाव आयोग से गुहार लगाई थी कि इस सीट पर 6 अप्रैल को होने वाले मतदान को टाला जाए.